रूस और यूक्रेन में बढ़ते तनाव के बीच ताइवान का मसला भी सुर्खियों में है. ताइवान (Taiwan) में यूक्रेन जैसे हालात बताए जाने को लेकर चीन तिलमिला गया है. चीनी विदेश मंत्रालय (Chinese Foreign Ministry) की ओर से कहा गया है कि यह ऐतिहासिक और कानूनी तथ्य है कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है. चीन ने ये भी कहा है कि यहां के लोग संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वही यूक्रेन मसले पर चीन का मानना है कि किसी भी राष्ट्र की वैध सुरक्षा चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए. साथ ही यूएन चार्टर के मकसदों और सिद्धांतों को बरकरार रखने की जरुरत पर बल देते हुए चीन ने सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया.


ताइवान को लेकर तिलमिलाया चीन


चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) से कहा कि अमेरिका को हिंद-प्रशांत रणनीति में ताइवान को शामिल नहीं करना चाहिए, जिस पर चीन अपना दावा करता है. इस महीने की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा था कि वह हिंद-प्रशांत के लिए और अधिक राजनयिक और सुरक्षा संसाधन प्रदान करेगा. अमेरिका ने यह भी कहा कि वह ताइवान को चीन से विभाजित करने वाले जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्र के अंदर और बाहर भागीदारों के साथ काम करेगा.


क्या पुतिन की राह पर चलेंगे शी जिनपिंग?


अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शी जिनपिंग (Xi Jinping) ताइवान में पुतिन की राह पर कदम बढ़ा सकते हैं. चीन का मकसद है कि ताइवान को उसकी राजनीतिक डिमांड के आगे झुकने और चीन के कब्जे को कबूल करने के लिए मजबूर किया जा सके. बहरहाल रूस की ओर से पूर्वी यूक्रेन के दो क्षेत्रों को अलग देश की मान्यता देने के बाद से पूरी दुनिया में तनाव बरकरार है. अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देश रूस और यूक्रेन के अलगाववादी वाले क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.


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