China in Africa: इस देश को 'गुलाम' बनाने चला चीन बुरी तरह फंसा, हो गया अरबों का नुकसान!
China Role in Africa: अफ्रीकी देश गैबॉन में हुए तख्तापलट ने चीन को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है. गैबॉन में उसने कई सारे प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाया हुआ है, जिस पर खतरा मंडरा रहा है.
China in Gabon: चीन ने अफ्रीकी देश गैबॉन में अरबों रुपये के प्रोजेक्ट्स लगाए हुए हैं. कहीं न कहीं चीन का इरादा अपने प्रोजेक्ट के जरिए गैबॉन को गुलाम बनाने का था. बीजिंग ने कई अफ्रीकी देशों में पहले प्रोजेक्ट लगाकर अपनी पकड़ मजबूत की और फिर उन्हें कर्ज देकर अपना गुलाम बनाया है. गैबॉन में भी कुछ ऐसा ही करने का इरादा था, मगर यहां वह अपने ही जाल में फंस गया है. चीन फंसा भी ऐसा है कि उसको अरबों रुपये का नुकसान हो सकता है.
दरअसल, गैबॉन में हाल ही में तख्तापलट हुआ है. इस वजह से चीन के प्रोजेक्ट्स के ऊपर खतरा मंडरा गया है. पश्चिमी अफ्रीका में मौजूद गैबॉन तेल और खनिज संपदा से समृद्ध मुल्क है. सेना ने चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रपति अली बोंगो को नजरबंद कर दिया है. अली बोंगो तीसरी बार राष्ट्रपति बनने वाले थे. सेना की तरफ से फिलहाल जनरल ब्राइस ओलिगुई न्गुएमा को नया राष्ट्रपति बनाया गया है. वह प्रेसेंडिशियल गार्ड के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं.
चीन ने तख्तापलट पर क्या कहा?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीन ने सभी पक्षों को बातचीत करने की सलाह दी है. चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि गैबॉन के हालातों पर नजर रखी जा रही है. मंत्रालय ने कहा कि चीन चाहता है कि सभी पक्ष बातचीत के जरिए अपने मतभेदों को सुलझाएं और राष्ट्रपति अली बोंगो की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए. गैबॉन में मौजूद चीनी नागरिकों से कहा गया कि वे घरों से बाहर नहीं निकलें. आपात स्थिति में चीनी दूतावास से संपर्क किया जाए.
चीन को क्यों तख्तापलट से हुआ नुकसान?
मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो डॉ जॉन कैलाब्रीज का कहना है कि चीन गैबॉन का प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक है. चीन गैबॉन से बड़ी मात्रा में मैगनीज का आयात करता है. चीन का राष्ट्रपति अली बोंगो के साथ अच्छा रिश्ता रहा है. अब देखना होगा कि चीन सेना के साथ कैसे रिश्ते बना पाता है. उन्होंने कहा कि गैबॉन में हुई अस्थिरता की वजह से चीन को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. सेना के साथ रिश्ते बनाना चीन के लिए आसान नहीं होने वाला है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की कंपनियों ने गैबॉन में हाइड्रोप्रोजेक्ट्स में पैसा लगाया हुआ है. इसके अलावा खनिज समृद्ध होने की वजह से कई सारे प्रोजेक्ट इस सेक्टर में भी चल रहे हैं. सेना के सत्ता में आने के बाद इन पर अब उसका कंट्रोल हो गया है. चीन ने यहां अरबों रुपये का निवेश किया है, जिस पर खतरा है. राष्ट्रपति बोंगो के कार्यकाल में चीन यहां से बड़ी आसानी से खनिजों को निकालकर अपने यहां ले जा रहा था, जो अब मुश्किल होगा.
चीनी कस्टम डाटा के मुताबिक, 2022 में दोनों मुल्कों के बीच दोतरफा व्यापार 4.55 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है. इस तरह चीन गैबॉन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. दोनों के बीच हर साल 50 फीसदी की दर से व्यापार बढ़ रहा है. डिप्लोमैट की खबर के मुताबिक, चीन गैबॉन से क्रूड ऑयल, मैगनीज और लकड़ी का आयात करता है. तख्तापलट के बाद देखना होगा कि क्या सेना उसे ये चीजें हासिल करने देती है या नहीं.
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