China: अब और ताकतवर हो जाएगा चीन! ऐसे खनिज हाथ लगे, जो डिफेंस से लेकर स्पेस तक में करेंगे ड्रैगन को मजबूत
दुनिया की सबसे बड़ी खदान में चीन ने इन खनिजों की खोज की है. 1959 से चीन इस भंडार से अब तक 18 नए खनिज की खोज कर चुका था. इन दोनों खनिज का इस्तेमाल चीन रक्षा, सैन्य समेत कई क्षेत्रों में करने वाला है.
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China: चीनी भूविज्ञानियों ने उत्तरी चीन में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थ मिनरल्स खदान में दो नए खनिजों की खोज की है. चीनी साइंस अकादमी (सीएएस) ने घोषणा की है कि इनर मंगोलिया स्वतंत्र क्षेत्र में बायन ओबो में जिन दो नए नियोबियम और स्कैंडियम खनिजों की खोज की गई. उसका नाम ओबियोबाइट और स्कैंडियो-फ्लोरो-एकरमैनाइट है. यह शहर बाओटौ शहर के प्रशासन के अधीन है जहां के खदानों में दुर्लभ अर्थ मिनरल्स के तत्वों का अब तक का सबसे बड़ा भंडार है.
क्या हैं दुर्लभ मिनरल्स के नाम?
नियोबियम और स्कैंडियम दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण मेटल हैं. नियोबियम का उपयोग मुख्य रूप से विशेष स्टील, सुपरकंडक्टिंग सामग्री और एयरोस्पेस उद्योगों में किया जाता है. वहीं स्कैंडियम का उपयोग विशेष रूप से एल्यूमीनियम-स्कैंडियम अलॉय मेटल और सॉलिड ऑक्साइड फ्यूल सेल्स (SOFC) में किया जाता है. चीनी साइंस अकादमी (सीएएस) की तरफ से बताया कि इंटरनेशनल मिनिरल एसोसिएशन ने इन दोनों खनीजों के नामकरण को मंजूरी दे दी है.
इन क्षेत्रों में किया जा सकता है इस्तेमाल
सीएएस इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड जियोफिजिक्स की ओर से कहा गया कि इन नए खनिजों का परीक्षण कर इसे एयरोस्पेस, राष्ट्रीय रक्षा और सैन्य उद्योग जैसे क्षेत्रों में काम में लाया जा सकता है.
चीन की प्रमुख इस्पात निर्माता कंपनी इनर मंगोलिया बाओटौ स्टील यूनियन कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक ली जियाओ ने कहा कि बायन ओबो में प्रचुर मात्रा में लोहा, नाइओबियम, स्कैंडियम, थोरियम और फ्लोराइट है. सन 1959 से इस भंडार में 18 नए मिनरल्स की खोज की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि ओबियोबाइट और स्कैंडियो-फ्लोरो-एकरमैनाइट यहां खोजा गया 19वां और 20वां मिनरल है.
दोनों मिनरल्स का आकार
सीएएस इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी एंड जियोफिजिक्स के रिसर्चर फैन होंग्रुई के अनुसार ओबियोबाइट पीले और भूरे रंग जैसा होता है. उन्होंने बताया कि यह एक प्लेट जैसा होता है, जिसका आकार 20 से 100 माइक्रोमीटर तक होता है. वहीं स्कैंडियो-फ्लोरो-एकरमैनाइट हल्का पीला या हल्का नीला रंग का होता है, जिसका आकार 350 माइक्रोमीटर तक है.
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