सर्वे में खुलासा: उइगर मुसलमानों के प्रति दमनकारी है चीन, 74 फीसदी बांग्लादेशियों ने माना
ढाका यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनोसाइड स्टाडीज के सर्वेक्षण में बड़ा खुलासा हुआ जिसके मुताबिक 74 प्रतिशत बांग्लादेशियों का मानना है कि चीन की सरकार उइगर मुसलमानों के प्रति दमनकारी है.
China Govt. Repressive Towards Uighurs: चीन के बीजिंग में रह रहे उइगर मुसलमानों पर अत्याचार और प्रताड़ना की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. चीन प्रशासन उइगरों पर किए गए प्रताड़नाओ को मानने के लिए कभी तैयार नही होता है. अपने दिए हुए बयान में यही बात कहता है कि ऐसा सिर्फ उइगर मुसलमानों को गुमराह करने के लिए किया जाता है. बंग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनोसाइड स्टाडीज के सर्वेक्षण में बड़ा खुलासा हुआ जिसके मुताबिक 74 प्रतिशत बांग्लादेशियों का मानना है कि चीन की सरकार उइगर मुसलमानों के प्रति दमनकारी है. सर्वे के अनुसार 24 प्रतिशत मुस्लिम ऐसा सोचते हैं कि उइगर मुसलमानों को सिर्फ उनकी धार्मिक पहचान के कारण साताया जाता है.
बांग्लादेश में नेशनल इमेज ऑफ चाइना नामक सर्वे हुआ. यह सर्वे बंगलादेश के लोग चीन के बारे में क्या सोचतें हैं यह जानने के लिए किया गया था. जिसमें लगभग 5200 बांग्लादेशियों की राय शामिल है. सर्वे में लगभग 32 जिलों, 8 संभागीय शहर और 12 महानगरीय शहर के 66 प्रतिशत पुरूष और 34 प्रतिशत महिलाओं ने भाग लिया.
जानिए सर्वें में क्या हुआ खुलासा
सर्वे में चीन के प्रशासन की नकारात्मक छवि सामने आई. जिसने चीन और बांग्लादेश के राजनायिक संबधों को कई सवालों के घेरे में डाल दिया है.नेशनल इमेज ऑफ चाइना नामक सर्वे में ऐसे कई खुलासे सामने आए जिसमें बांग्लादेश के 24 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कि उइगर मुसलमानों से ही अपरिचित हैं तो वहीं 2 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि यह घटनाए झूठी हैं. इनमें कोई वास्तविकता नहीं है, यह केवल भ्रमित करने का साधन मात्र है. वहीं बाकि बचें हुए 15 प्रतिशत लोगों की मानें तो यह चीन का आंतरिक मामला है. वहीं इस सर्वे में 10 प्रतिशत लोगों का चीन की ओर सकारात्मक विचार है. वह मानतें हैं कि चीन में एकजुट समाज का निर्माण हो रहा है.
सर्वे की प्रतिक्रिया में क्या कहा चीनी राजदूत ने?
बांग्लादेश में नेशनल इमेज ऑफ चाइना नामक सर्वे की प्रतिक्रिया में चीन के राजदूत ली-जिमिंग ने कहा कि पश्चिमी मीडिया के द्वारा उइगर मुसलमानों के बारे में सिर्फ एक झूठा प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है और ऐसा इसलिए क्योंकि चीन प्रशासन किसी भी एक धर्म और जाति की ओर पक्ष नहीं लेता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन में उइगर मुसलमानों के अलावा और भी अन्य मुसलमान चीन के अन्य हिस्सों में भी रहतें हैं पर उन पर कोई सवाल नहीं उठाए जाते हैं. सिर्फ उइगर मुसलमानों को ही झूठे प्रोपेगेंडा के तहत गुमराह किया जाता है.
मानवाधिकार आयोग ने भी उठाए चीन पर कई सवाल
चीन के बीजिंग में लगभग 1.2 प्रतिशत उइगर मुसलमानों का घर है. अल्पसंख्यक होने के कारण चीन प्रशासन का उन पर दबदबा रहता है या यू कहें कि मानव अधिकारों का भी उल्लंघन किया जाता है. इन समस्याओं के विरूद्ध और उइगरों पर किए गए तरह-तरह के अत्याचारों पर मानवाधिकारों ने भी कई बार शिकायतें की हैं. वहीं कई दूसरे मानवाधिकार संगठनों ने शिनजीयांग में उइगरों के साथ हुए मानवाधिकार उल्लंघनों का सर्मथन भी किया है. हालांकि हमेशा कि तरह चीन कभी भी इस तरह के आरोपों को मानने से इंकार करता रहता है और इनको एक प्रोपेगेंडा बताता है.
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