China News: चीन ग्रेफाइट के निर्यात को प्रतिबंधित करने वाला है. इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाली बैटरी के निर्माण के लिए ग्रेफाइट को सबसे जरूरी खनिज माना जाता है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय और सीमा शुल्क के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ने इसकी जानकारी दी है. चीन की इस हरकत की वजह से इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं की मुसीबत बढ़ सकती है, क्योंकि उनके पास बैटीरियों को बनाने के लिए ग्रेफाइट की कमी हो सकती है. 


सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की तरफ से ये ऐलान ऐसे समय पर किया गया है, जब अमेरिका ने भी कुछ ऐसा ही ऐलान किया है. वाशिंगटन डीसी ने अमेरिकी कंपनियों के जरिए चीनी कंपनियों को बेचे जाने वाले कई तरह के सेमीकंडक्टर्स पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा दिए हैं. चीन और अमेरिका के बीच चल रही इस व्यापारिक जंग का नतीजा आम लोगों को भुगतना पड़ सकता है. बैटरी की कमी होने से इसके दाम भी बढ़ सकते हैं. 


एक्शन का रिएक्शन हो रहा


स्विट्जरलैंड में सेंट गैलेन यूनिवर्सिटी में टैक्स और ट्रेड पॉलिसी के प्रमुख स्टीफन लेगे ने कहा कि वर्तमान में चीन और पश्चिमी देश जैसे को तैसा वाले हालात में उलझे हुए हैं. न्यूटन का तीसरा सिद्धांत कहता है कि हर एक्शन का एक रिएक्शन होता है. ऐसा ही कुछ यहां पर भी देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि विवाद की वजह से दोनों पक्षों को इस बात का एहसास हुआ है कि अगर भूराजनीति इकनॉमी पर हावी हो जाती है, तो ये कितनी महंगी साबित हो सकती है. 


चीन ने किस आधार पर लगाया प्रतिबंध?


चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर ग्रेफाइट के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. उसका कहना है कि दिसंबर से अगर किसी को ग्रेफाइट का निर्यात करना होगा, तो उसे परमिट की जरूरत पड़ेगी. चीन दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रेफाइट का प्रोडक्शन करता है. दुनिया में ग्रेफाइट के प्रोडक्शन में चीन की हिस्सेदारी 65 फीसदी है. पिछले साल दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रेफाइट चीन ने ही पैदा किया. ऐसे में उसके इस कदम का सब पर असर दिखने वाला है.


क्या छिड़ सकता है ग्लोबल टेक वॉर?


वाशिंगटन में मौजूद इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी रिसर्च ने बताया कि कार निर्माता चीन के बाहर से ग्रेफाइट की सप्लाई पर निर्भर होने की कोशिश कर रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी की डिमांड इस वक्त सबसे ज्यादा है. पिछले साल एक करोड़ से ज्यादा इलेक्ट्रिक कार बेची गई हैं. इस साल 1.4 करोड़ कारों की बिक्री का अनुमान है. ग्रेफाइट के जरिए बनने वाली बैटरियों का मार्केट 2018 से 250 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है. 


चीन के निर्यात प्रतिबंध की वजह से ग्लोबल सप्लाई बाधित हो सकती है. इसकी वजह से कार कंपनियों को बड़ी मुसीबत में फंसना पड़ सकता है. ये ग्लोबल टेक वॉर को दावत दे सकता है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि इसकी वजह से चीन और अमेरिका का टकराव और भी ज्यााद बढ़ सकता है. हालांकि, चीन ने ये जरूर कहा है कि उसके यहां की कंपनियों को निर्यात के लिए परमिट की जरूरत होगी. ऐसे में ये भी हो सकता है कि मार्केट स्थिर हो जाए. 


यह भी पढ़ें: चीन पर अमेरिका ने जारी की 'खुफिया रिपोर्ट', क्यों भारत के लिए इसे पढ़ना है जरूरी? ड्रैगन के 'खतरनाक' इरादों की दिखी झलक