Chinese Army in Balochistan: चीन हमेशा से अपने पड़ोसी मुल्कों के लिए एक खतरा साबित हुआ है. फिर चाहे वो तिब्बत हो या फिर ताइवान... हर जगह चीन अपना कब्जा चाहता है. लेकिन अब चीन की नजर दूसरे देशों पर भी है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. चीन पाकिस्तान पर दबदबा बनाने की कोशिश में जुटा है. बताया जा रहा है कि चीन की नजर अब बलूचिस्तान पर भी है. 


चीन एक तरफ तो मिलिट्री ऑपरेशन्स के जरिए ताइवान को हड़पने की तैयारी में जुटा है तो दूसरे देशों को कर्ज तले दबाकर अपना दबदबा बढ़ाना की फिराक में है. श्रीलंका को लोन और इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर डुबाने के बाद अब पाकिस्तान की बारी है. खबर है कि सीपैक प्रोजेक्ट फेल होने के बाद चीन अब पाकिस्तानी सेना के लिए सीक्रेट मिसाइल बेस बनाने में जुटा है. 


बनाए जा रहे सीक्रेट मिसाइल बंकर 
दरअसल चीन की पीएलए सेना बलूचिस्तान में पाकिस्तान के लिए सीक्रेट मिसाइल बंकर बना रही है. पहाड़ों में गुफा बनाकर मिसाइल शेल्टर बनाने की तैयारी चल रही है. सिंध के नवाबशाह और बलूचिस्तान के खुजदर के करीब ये निर्माण हो रहा है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है सीपैक यानी चाइना पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर शुरू तो बड़े ज़ोर-शोर से हुआ था... लेकिन उसकी रफ्तार अब बहुत धीमी पड़ चुकी है. खबर तो ये भी है कि पाकिस्तान अब सीपैक अथॉरिटी को ही भंग करने की तैयारी में जुटा है. 


जानकारों की मानें तो पहाड़ों में इस तरह के बंकर बनाने से एक तो 'नेचुरल डिफेंस' मिल जाता है यानी ऊपर से ये पहचानना मुश्किल होता है कि वहां कोई खुफिया मिसाइल बेस है और दूसरा अगर कोई हवाई हमला होता है तो माउंटेन केव में रखी गई मिसाइल और गोलाबारूद  को नुकसान कम पहुंचता है. पहाड़ों में बंकर बनाने से दूसरे देशों के सैटेलाइटों से भी काफी हद तक छिपा जा सकता है. इस तरह 'माउंटेन केव' बंकर की एक और ख़ासियत होती है कि ये बड़ी आसानी से बनाए भी जाते हैं और निर्माण कार्य के दौरान किसी को हवा तक नहीं लगती. एक बार टनलिंग शुरू हो जाए तो पहाड़ों के भीतर लंबी दूरी तक भी हर वक्त काम किया जा सकता है.


आपको बता दें कि पहाडों में टनलिग करने में चीन को माहरत हासिल है. चीन ने तिब्बत में अपने एयरक्राफ्ट को सुरक्षित रखने के लिए इसी तरह के माउंटेन हैंगर तैयार किए हैं. हालांकि इस बात की जानकारी नहीं है कि बलूचिस्तान  मिसाइल फैसेलिटी कितनी बड़ी है, लेकिन जानकारी के मुताबिक़ इस तरह के माउंटन केव कई सारे हैं. ये मिसाइल बेस पाकिस्तानी सेना के लिए इसलिए भी बेहद जरूरी हैं क्योंकि आए दिन बलूचिस्तान में बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सेना के कैंप पर हमले करते रहते हैं. 


हथियारों को सुरक्षित रखने का इंतजाम
पाकिस्तान मिसाइल के जखीरे को बढ़ाने में जुटा है और इनमें परमाणु मिसाइल भी शामिल हैं. ऐसे में उन्हें दुनिया की नजरों से छिपाए रखना भी बेहद जरूरी है. ग्वादर में बलूच विद्रोहियों के गदर के चलते चीन अपने प्रोजेक्ट को समय से पूरा नहीं कर पा रहा, लिहाजा इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ अब वो सामरिक ताक़त में इजाफा करने में जुटा है जिनमें हथियारों के अलावा उनके सुरक्षित रखने का भी पूरा इंतजाम किया जा सके .


बलूचिस्तान के साथ-साथ चीन पाकिस्तानी सेना के लिए पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में जुटा है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में पीएलए के 10-12 चीनी सैनिक पीओके के शारदा आर्मी कैंप (40 फ्रंटियर फोर्स) में भी अंडरग्राउंड बंकर तैयार करने में जुटे दिखाए पड़े थे. 


पीओके के केल इलाके में भी पाकिस्तान सेना के फुलवाई कैंप में चीनी सेना के इंजीनियर्स अंडरग्राउंड बंकर तैयार कर रहे हैं. बहरहाल CPEC पाकिस्तान के लिए अभी एक जैकपॉट की तरह ज़रूर दिख रहा होगा लेकिन इसी के बहाने चीन पाकिस्तान पर धीरे-धीरे कर्ज से कब्जा भी करता दिख रहा है, वैसे जानकारों की मानें तो शिनजियांग प्रांत से बलूचिस्तान के ग्वादर तक बनने वाले CPEC के निर्माण कार्य में हो रही देरी के चलते इसका महत्व लगभग ख़त्म होता नज़र आ रहा है. 


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