चीन के संपन्न परिवारों ने इस साल लाखों डॉलर पैसा विदेशों में भेज दिया है. ये लोग अपनी बचत के पैसों से विदेशों में अपार्टमेंट, स्टॉक में पैसा लगा रहे हैं. कई लोग भारी मात्रा में सोने की बिस्किट खरीद रहे हैं. चीनी नागरिकों ने जापान में खरीददारी शुरू कर दी है और अमेरिकी बैंकों में पैसा डाला है, क्योंकि वहां उन्हें चीन के मुकाबले ज्यादा ब्याज दरें मिलती हैं. चीन में ब्याज की दरें काफी कम हैं और लगातार गिर रही हैं. 


लेकिन घरेलू पैसे का बाहर जाना चीन की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा माना जा रहा है. फिलहाल चीन में रियल एस्टेट में मंदी चल रही है. रियल एस्टेट का कारोबार चीन की अर्थव्यवस्था का 30 फीसदी हिस्सा है.


व्यापार में बढ़ा सरकारी दखल


चीन के कुछ लोग मानते हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था चरमरा गई हैं. उनका मानना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था ठीक दिशा में जा रही है या नहीं इसपर संदेह है. 


हाल के समय में शी जिनपिंग ने चीन में व्यापार पर नकेल कसी है और समाज के कई पहलुओं में सरकार के दखल को बढ़ाया है.  टोक्यो में ऑनलाइन रियल एस्टेट लिस्टिंग सर्विस शेनजुमियाओसुआन के मुख्य कार्यकारी झाओ जी ने अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, "टोक्यो में अपार्टमेंट खरीदने वालों में सबसे अव्वल चीनी हैं. इन अपार्टमेंट की कीमत 30 लाख डॉलर तक है या कई बार इससे ज्यादा भी होता है."


झाओ जी ने कहा, "कई बार चीनी लोग सूटकेस में पैसा लाते हैं. इतने पैसे को गिनना काफी जटिल काम है. लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था. लोग पहले इतने महंगे घर नहीं खरीदते थे, या फिर इतनी बड़ी संख्या में नहीं खरीदते थे. कोविड से पहले चीन के लोग टोक्यो में 3 लाख से लेकर 30 हजार डॉलर के आसपास का स्टूडियो अपार्टमेंट खरीदते थे.लेकिन अब वे महंगे घर खरीद रहे हैं और अपने परिवार को भी जापान लाने की कोशिश में लगे हैं."


चीन की अर्थव्यवस्था को खतरा?


जानकारों का मानना है कि 17 ट्रिलियन डॉलर की चीनी अर्थव्यवस्था को लोगों के पैसे बाहर भेजने से बहुत खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि चीन की निर्यात क्षमता काफी अच्छी है इसलिए जाहिर है पैसे वापस आएंगे और स्थति जस की तस रह सकेगी.


औद्योगिक कंपनियों की बिगड़ती हालत


चीन की फैक्ट्रियों में उत्पादन सीमित हुए हैं. कई कंपनियां कर्ज से जुझ रही है. फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, चीन में औद्योगिक कंपनियों के अक्टूबर का मुनाफा सिंतबर और अगस्त को मुकाबले 11.9 प्रतिशत और 17.2 प्रतिशत कम रहा. 


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