चीन ने शौचालयों में लगाया टाइमर, कौन कितनी देर अंदर इसका डाटा क्यों जमा कर रहा चीन
Timer on Toilets: चीन ने अब देश के शौचालयों पर टाइमर लगा दिया है, जिससे यह पता चल सके कि अंदर गए व्यक्ति ने कितना देर शौचालय का उपयोग किया. इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
Timer on Toilets: चीन हमेशा से अपने नागरिकों पर अधिक निगरानी रखने के लिए बदनाम रहा है. इसी कड़ी में अब चीन के शौचालियों से जो तस्वीरें आई हैं, वो हैरान करने वाली हैं. चीन ने देश के शौचालयों में टाइमर लगा दिया है, जिससे यह पता चल सके कि टॉयलट में गया व्यक्ति कितना देर अंदर रहा. जब टॉयलट खाली होता है तो हरी लाइट जलने लगती है और खाली लिख उठता है. चीनी टॉयलेट के बाहर लगे टाइमर के फोटो और वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
सोशल मीडिया पर आए फुटेज यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल युंगांग बौद्ध ग्रोटोज के शौचालयों के बताए जा रहे हैं. चीन के युंगांग में 1500 साल पुरानी 252 गुफाएं और 51 हजार प्रतिमाएं हैं. बताया जाता है कि इस स्थान पर साल 2023 में 30 लाख से ज्यादा टूरिस्ट आए थे. इस जगह पर जो शौचालय बने हैं, उनमें टाइमर लगे हैं. ये टाइमर यह बताते हैं कि अंदर गया व्यक्ति कितनी से टॉयलेट में है, हर एक टॉयलेट का अपना अलग डिजिटल टाइमर है. ये टाइमर अंदर से कुंडी बंद करने के बाद समय काउंट करता है.
सोशल मीडिया पर चीन की आलोचना
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, जब कोई टॉयलेट खाली होती है तो एलईटी स्क्रीन पर हरे रंग से 'खाली' लिखा दिखने लगता है. चीन के सोशल मीडिया वीबो पर टॉयलेट्स में लगे टाइमर का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. कई यूजर्स ने चीन की इस करतूत की आलोचना की है. वहीं कुछ लोगों ने मजाकिया अंदाज में लिखा, 'पर्यटकों को टॉयलेट में बैठकर मोबाइल स्क्रॉल करने से यह रोकेगा.' एक अन्य यूजर ने लिखा, 'पर्यटक स्थल कोई कार्यालय नहीं है, जिसकी निगरानी की जाए, यह वास्तव में गैर जरूरी कदम है. टाइमर लगाने में जो खर्च हुआ है, उससे अच्छा होता कि अधिक शौचालय बनाए जाएं.'
नहीं खटखटाना पड़ता दरवाजा
स्थानीय कर्मचारियों ने बताया कि टाइमर लगाकर शौचालय की समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है. ये टाइमर सिर्फ इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि आगंतुकों की संख्या बड़ रही है. इसकी एक खास बात ये है कि इससे पता चलता है कि कितनी देर पहले दरवाजा बंद हुआ, यानी कितनी देर में खाली होगा इसका अंदाजा लग जाता है. इससे लोगों को लाइन में नहीं लगना पड़ता और अंदर कोई है या नहीं ये जानने के लिए दरवाजा खटखटाना नहीं पड़ता. चीन के इस कदम को उसकी सामाजिक क्रेडिट प्रणाली से जोड़कर देखा जा रहा है.
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