China Canada Tensions: चीन ने कनाडा के चुनावों में दिया दखल? मीडिया के खुलासों के बाद कनाडाई संसदीय समिति ने पारित किया जांच का प्रस्ताव
Chinese Interference In Canada Elections: पश्चिमी देशों में 'स्पाई बैलून' भेजकर निशाने पर आए चीन पर कनाडाई चुनावों में हस्तक्षेप के आरोप लगे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में चौंकाने वाले दावे किए जा रहे हैं.
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China Canada Tensions: एशिया और यूरोप में अपना दबदबा बनाने की कोशिशों के बीच चीन (China) ने कनाडा के चुनावों (Canada Elections) में भी दखल दे दिया. कनाडाई मीडिया की खबरों से हुए कुछ खुलासे के बाद एक कनाडाई संसदीय समिति ने राष्ट्रीय चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों की सार्वजनिक जांच के लिए एक प्रस्ताव (Motion For Inquiry) पारित किया है. इसके तहत कनाडाई चुनावों में चीनी दखल की जांच की जाएगी.
कनाडा के चुनावों में चीन का हस्तक्षेप
बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने में भी कनाडा के चुनावों में चीन की दखलअंदाजी की खबरें आई थीं. तब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा था कि चीन कनाडा और उनके इंस्टीट्यूशंस के खिलाफ आक्रामक होते हुए लोकतंत्र पर हमले कर रहा है. कनाडा की मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, चीन ने 2019 और उसके बाद 2021 के चुनावों में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के पक्ष में संघीय चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए एक अभियान चलाया था. शुक्रवार को कनाडाई मीडिया में इसका खुलासा किया गया है.
यह खुलासा होने के फौरन बाद अब यह खबर आई है कि इस मामले में कनाडा की पर्ल कमेटी ने जांच के लिए प्रस्ताव पास करा दिया है, हालांकि इस तरह की जांच होगी या नहीं यह सरकार पर निर्भर करेगा. क्योंकि, प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने ताजा बयान में यह कहा है कि चीन ने कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप करने का प्रयास तो किया था, लेकिन उसके प्रयासों ने परिणाम नहीं बदला.
कनाडाई संसदीय समिति ने उठाया बड़ा कदम
वहीं, कनाडाई चुनावों में दखल देने के आरोपों पर फिलहाल चीन की प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, इससे पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. कनाडा में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के पक्ष में 2019 और 2021 के चुनावों को प्रभावित करने की चीनी करतूतों की खबरें पिछले कुछ दिनों से कनाडा की मीडिया में दिखाई जा रही हैं.
इन्हीं खबरों की श्रृंखला के बाद, कनाडाई संसदीय समिति ने राष्ट्रीय चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों की सार्वजनिक जांच के लिए बड़ा कदम उठाया है. खास बात यह है कि इस कदम का हाउस ऑफ कॉमन्स प्रोसीजर एंड हाउस अफेयर्स स्टैंडिंग कमेटी के विपक्षी सांसदों ने समर्थन किया है, जबकि लिबरल पार्टी के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है.
बीते मंगलवार को, कनाडाई सरकार ने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट मॉरिस रोसेनबर्ग की एक रिपोर्ट जारी की थी. उसके बाद कहा गया कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप होने के प्रयासों को देखा, लेकिन उन प्रयासों से चुनावी अखंडता के प्रभावित होने के सुबूत नहीं हैं. इसका मतलब यह है कि कनाडा में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी कथित चीनी दखल की जांच कराना नहीं चाहती, और इसलिए उसके सदस्यों ने एक कनाडाई संसदीय समिति द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का विरोध किया है.
चीनी व्यवसायी ने दिया था डॉनेशन
वहीं, कनाडा में विपक्ष ने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट मॉरिस रोसेनबर्ग की रिपोर्ट को धता बता दिया है. कनाडाई विपक्षी पार्टियों के मुताबिक, 2014 और 2018 के बीच रोसेनबर्ग पियरे इलियट ट्रूडो फाउंडेशन के सीईओ थे और उस अवधि के दौरान उन्हें एक चीनी व्यवसायी से बड़ा डोनेशन मिला था. चीनी व्यवसायी से डोनेशन मिलने की खबर एक आउटलेट 'द ग्लोब एंड मेल' ने प्रकाशित की.
'द ग्लोब एंड मेल' ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया कि कनाडा की जासूसी एजेंसी, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने एक चीनी राजनयिक और अरबपति झांग बिन के बीच एक बातचीत रिकॉर्ड की थी, जिसमें अधिकारी ने झांग बिन को पर्याप्त राशि डोनेट करने का निर्देश दिया था.
डोनेशन का मामला उसी साल का बताया जा रहा है, जब ट्रूडो की पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में आई, और वह (2015 में) कनाडा के प्रधानमंत्री बने. डोनेशन वाला मामला बीते बुधवार को तब और चर्चा में आ गया, जब रोसेनबर्ग पियरे से संबंधित ट्रूडो फाउंडेशन ने यह घोषणा की कि वह डॉनर्स से अब तक प्राप्त 140,000 डॉलर की राशि लौटा रहा है. इस फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीईओ पास्कल फोरनियर ने एक बयान में कहा, "हम ऐसा कोई डोनेशन नहीं रख सकते हैं जो किसी विदेशी सरकार द्वारा प्रायोजित हो."
खुफिया रिपोर्टों में चीनी दखल का जिक्र
इसमें जिस 'विदेशी सरकार' की बात आ रही है, मीडिया में उसे चीन दिखाया जा रहा है. और, इसलिए मीडिया के ऐसे ही कई खुलासों ने कनाडा की ट्रूडो सरकार पर इस बारे में जांच कराने का दबाव बढ़ा दिया है. 17 फरवरी को, द ग्लोब एंड मेल ने एक रिपोर्ट में कहा था, “चीन ने 2021 के संघीय चुनाव अभियान में कनाडा के लोकतंत्र को प्रभावित करने के लिए एक खासा रणनीति बनाई, चीनी राजनयिकों और उनके प्रतिनिधियों ने जस्टिन ट्रूडो के समर्थक उम्मीदवारों को चुनाव में जीत दिलवाने के लिए समर्थन किया था और कंजर्वेटिव पार्टी के लोगों को हराने के लिए काम किया था क्योंकि कंजर्वेटिव वाले चीन के करीबी नहीं रहे हैं.''
चीन चाहता था- कंजर्वेटिव उम्मीदवारों की न हो जीत
द ग्लोब एंड मेल की यह रिपोर्ट कनाडा की जासूसी एजेंसी, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा या CSIS के दस्तावेजों पर आधारित है. इस रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि बीजिंग ने यह तय कर लिया था कि चुनावों में कंजर्वेटिव की जीत न हो सके. इसके लिए चीन ने वैंकूवर और जीटीए (ग्रेटर टोरंटो एरिया) में पर्दे के पीछे रहते हुए चीनी-कनाडाई संगठनों के बीच दुष्प्रचार अभियानों को बल दिया था. वैंकूवर और GTA की में बड़ी संख्या में चीनी आप्रवासी समुदाय हैं, जो कंजर्वेटिव का विरोध और ट्रूडो समर्थकों का पक्ष लेते रहे हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में, आउटलेट ग्लोबल न्यूज़ ने CSIS की 20 दिसंबर, 2021 की रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि "कनाडा की लिबरल पार्टी एकमात्र ऐसी पार्टी बन रही है, जिसका चीन समर्थन कर सकता है.''
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