China-Iran Sea Trade Route: चीन और ईरान ने इंडिया के पास एक सीक्रेट रास्ता खोज लिया है. यह एक सी रूट (समुद्री रास्ता) है. ऐसा बताया गया कि इसका इस्तेमाल दोनों देश गुपचुप तरीके से कारोबार के लिए कर रहे हैं. 'टाइम डॉट न्यूज' नाम के समाचार पोर्टल पर छपे अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार डॉ.ब्रह्मदीप अलूने के लेख से यह खुलासा हुआ है. 


डॉ.ब्रह्मदीप अलूने के आर्टिकल के मुताबिक, दक्षिण पूर्व एशिया के तहत सिंगापुर और मलेशिया के पूर्व में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर ढेर सारे टैंकर रहते हैं. वहां इसके साथ ही बड़ी खेप में माल भी ट्रांसफर होता है. लेखक की मानें तो इसी रूट से चीन और ईरान फिलहाल कारोबार कर रहे हैं. यह चैनल जलडमरूमध्य के नाम भी जाना जाता है, जो कि सिंगापुर द्वीप और इंडोनेशिया के रियाऊ द्वीप के बीच है. 


चीन ने दुनिया के सामने खड़ी कर दी बड़ी चुनौती!


व्यापार चलाने में आज भी समुद्री रास्ते सबसे अहम माने जाते हैं. 90 फीसदी परिवहन इंटरनेशनल शिपिंग इंडस्ट्री के जरिए जल क्षेत्रों से होता है. चूंकि, दुनियाभर में समुद्री रास्तों का संचालन कानूनी तौर पर होता है. ऐसे में दोनों देशों ने यह सीक्रेट रास्ता खोजकर और इसके जरिए चोरी-छिपे अरबों का व्यापार करके विश्व के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.


ईरान पर अमेरिका का बैन भी साबित हुआ नाकाम 


यह सीक्रेट समुद्री रास्ता चीन और ईरान के लिए इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि मौजूदा समय में अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंध है. ऐसे में एक्सपर्ट्स की नजरों में गुप्त रास्ते की वजह से बैन नाकाम होता दिख रहा है. चीन और ईरान आपस में कारोबार करते नजर आ रहे हैं. 


चीन-ईरान के सीक्रेट रूट पर और क्या बोले एक्सपर्ट?


चीन और ईरान का यह सीट रूट भारत के लिए बड़ा खतरा बनेगा या नहीं? इस बारे में डॉ.ब्रह्मदीप अलूने ने स्पष्ट तौर पर तो कुछ नहीं कहा. हालांकि, उनके आर्टिकल में यह जरूर बताया गया कि चीन समुद्री मार्गों को प्रभावित कर रहा है. ड्रैगन की यह नीति वैश्विक व्यापार और सुरक्षा को बाधित करने वाली है.


साफ है कि चीन का यह कदम दुनिया के लिए चिंता का विषय बन सकता है तो यह इंडिया को भी प्रभावित कर सकता है. हालांकि, इस बारे में फिलहाल किसी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. भारत होर्मुज जलडमरूमध्य और मलक्का जलडमरूमध्य के लगभग आधे रास्ते पर है. देश फिलहाल पूर्वी एशिया में फिलिपींस, मलेशिया और वियतनाम के साथ मिलिट्री सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहा है. इन देशों के साथ चीन का दक्षिणी चीन सागर में सीमा विवाद चल रहा है. 


यह भी पढ़ेंः PoK की जनता बेहाल! इधर 11 मई को बड़े मार्च का ऐलान, उधर चीनियों की सुरक्षा के लिए जवान तैनात