चीन में तानाशाही की सत्ता है. पिछले 70 साल से वहां बिना चुनाव कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है. सरकार के खिलाफ बोलना वहां अपराध है लेकिन देश के कुछ स्वतंत्र विचार रखने वाले लोग समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करते हैं तो उन्हें जेल की हवा खानी पड़ती है. चीनी प्रशासन ने गलवान घाटी पर टिप्पणी करने वाले एक पत्रकार और लोकप्रिय ब्लॉगर को 8 महीने की सजा सुनाई है. उनपर आरोप है कि उन्होंने शहीदों का अपमान किया और गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच तनाव के दौरान सरकार द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर सवाल उठाया. कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की खबर के मुताबिक क्यू जिमिंग Qiu Ziming को आठ महीने की सजा मिली है.
विइबो पर जिमिंग के 25 लाख फॉलोअर
क्यू जिमिंग स्वतंत्र पत्रकार हैं और वे द इकोनोमिक ऑब्जर्वर में काम कर चुके हैं. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है नेशनल हीरो या शहीदों को अपमानित या बदनाम करने पर बनाए गए नए कानून के तहत यह पहली सजा है. अखबार के मुताबिक शहीदों पर लांझन लगाने वाले पर नए कानून के तहत आपराधिक मामला चलेगा और इसमें अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है. इसलिए जिमिंग को बहुत ही मामूली सजा मिली है. अखबार ने लिखा है क्योंकि जिमिंग ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया, इसलिए उसे कम सजा मिली. जिमिंग चीन का बेहद लोकप्रिय ब्लॉगर है. ट्विटर जैसी चीनी माइक्रोब्लॉगिग साइन विइबो पर जिमिंग के 25 लाख फॉलोअर हैं.
जिमिंग ने क्या कहा था
15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक लड़ाई हुई थी. इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. बताया गया कि चीन के कम से कम 40 सैनिक मरे हैं लेकिन चीन ने बहुत बाद में बताया कि उसके सिर्फ चार सैनिक मरे हैं. इस आंकड़ें पर वहां के कुछ लोगों ने जब सवाल उठाए तो उनमें से 6 लोगों को हिरासत में ले लिया गया और उनपर मुकद्दमा चलाया गया. क्यू जिमिंग भी उनमें से एक था. जिमिंग ने अपने ब्लॉग में चीनी अधिकारियों के स्पष्टीकरण पर प्रश्न उठाते हुए लिखा था कि गलवान घाटी में चीन के मृतक सैनिकों की संख्या अधिक है. उन्होंने आगे लिखा था कि सरकारी बयानों के मुताबिक घटनास्थल पर बेहद मुश्किल परिस्थिति में चीनी सैनिकों को सहायता देने गए थे, मेरे विचार से उनमें से कई सैनिकों की जान चली गई.
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