Afghanistan Crisis: चीन ने 'दोस्त' अफगानिस्तान की मदद के लिए अमेरिका और विश्व से की ये अपील
Afghanistan Crisis: चीन ने तालिबान से कहा कि वह आतंकवादियों को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं करने देने की अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरे.
Afghanistan Crisis: चीन ने सोमवार को अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ‘‘सक्रिय कदम’’ उठाकर युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करने का आह्वान किया, जिससे देश में आर्थिक संकट को कम करने में मदद मिल सके. वहीं चीन ने तालिबान से भी कहा कि वह आतंकवादियों को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं करने देने की अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरे.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘अफगान तालिबान को अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरना चाहिए और सभी आतंकवादी ताकतों से ईमानदारी से अलग रहना चाहिए और उन पर नकेल कसने के लिए प्रभावी उपाय करने चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए आतंकवाद एक साझा खतरा बना हुआ है. चीन अन्य देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है ताकि अफगानिस्तान को आतंकवाद का गढ़ और सुरक्षित पनाहगाह बनने से रोका जा सके और संयुक्त रूप से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा की जा सके.’’
अफगानिस्तान में आर्थिक मंदी को रोकने के लिए अफगानिस्तान को सहायता की संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की अपील पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर, झाओ ने कहा कि चीन ने युद्ध प्रभावित देश को 20 करोड़ युआन (लगभग 3.1 करोड़ अमरीकी डालर) प्रदान करने की प्रतिबद्ध जतायी है जिसमें भोजन, सर्दियों के कपड़े और दवाएं शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देनी चाहिए. गत आठ सितंबर को, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अफगानिस्तान के पड़ोसियों पर पाकिस्तान द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में घोषणा की थी कि चीन युद्ध से तबाह देश को 3.1 करोड़ अमरीकी डालर की सहायता प्रदान करेगा.
झाओ ने कहा, ‘‘जब सुरक्षा की स्थिति परिपक्व होगी, तो चीन अफगानिस्तान को परियोजनाओं के निर्माण में मदद करेगा और देश की शांति, पुनर्निर्माण और विकास का समर्थन करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि अफगानिस्तान के प्रति चीन की मैत्रीपूर्ण नीति पूरे अफगान लोगों के लिए है. यह विशेष रूप से कठिन समय में पारस्परिक सहायता की चीनी संस्कृति का भी प्रतीक है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में, अफगानिस्तान गंभीर मानवीय आजीविका और महामारी चुनौतियों का सामना कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लोगों को कठिन समय से निपटने में मदद करने के लिए आर्थिक, आजीविका और मानवीय सहायता की पेशकश करनी चाहिए.’’ अफगानिस्तान में मौजूदा संकट के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए झाओ ने कहा कि वाशिंगटन को अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि अफगान मुद्दे के दोषी के रूप में अमेरिका को देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को ईमानदारी से पूरा करना चाहिए और देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करने के आधार पर उचित जिम्मेदारी और दायित्व निभाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका को दोष को अन्य पर मढ़ने और अपनी जिम्मेदारी से बचने के बजाय आर्थिक कठिनाइयों को कम करने में मदद करने के लिए सक्रिय कार्रवाई करनी चाहिए.’’
तालिबान द्वारा अपनी अंतरिम सरकार का शपथग्रहण रद्द करने के फैसले और इसमें शामिल नहीं होने के रूस के फैसले पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, ‘‘अफगान पक्ष द्वारा अंतरिम सरकार के लिए शपथग्रहण समारोह आंतरिक मामले के तहत आयोजित किया जाएगा या नहीं और अन्य देशों की समारोह में शामिल होने को लेकर क्या योजना, यह उनके स्वतंत्र निर्णय पर निर्भर है. चीन दोनों का सम्मान करता है.’’
काबुल से पिछले हफ्ते प्राप्त खबरों में कहा गया कि तालिबान ने अफगानिस्तान में नये सरकार के शपथग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए चीन, पाकिस्तान, रूस, तुर्की, ईरान और कतर को आमंत्रित किया है. खबरों में कहा गया कि विभिन्न देशों को इस पर कड़ी आपत्ति थी कि अंतरिम सरकार समावेशी नहीं है, जैसा कि तालिबान ने पहले वादा किया था.
10 सितंबर को, रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य इनामुल्ला समनगनी के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार का शपथग्रहण समारोह रद्द कर दिया गया है. तास की खबर में कहा गया था कि इनामुल्लाह ने उन पिछली खबरों का खंडन किया कि शपथग्रहण 11 सितंबर के लिए निर्धारित किया गया था. उन्होंने इसे अफवाह बताया. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार को कहा कि मॉस्को किसी भी क्षमता में शपथग्रहण समारोह में भाग नहीं लेगा.
ये भी पढ़ें:
Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान पर UN की हाई लेवल बैठक, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जानें क्या कहा?