China-Myanmar Relation: चीन अपने पड़ोसी देशों को अपनी ताकत बनाने में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में ग्लोबल एशिया की एक रिपोर्ट ने बड़ा दावा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने कमजोर पड़ोसी म्यांमार को छोड़ना नहीं चाहता है. इसके लिए चीन म्यांमार को आर्मी रुल के लिए सपोर्ट करेगा.
आपको बता दें म्यांमार की मदद से चीन हिंद महासागर तक आसानी से पहुंच सकता है. वहीं चीन म्यांमार के समुद्री क्षेत्रों का फायदा उठाकर विवादित दक्षिण चीन सागर को भी बायपास कर सकता है. दक्षिण कोरियाई स्थित ईस्ट एशिया फाउंडेशन में लेखक ने कहा कि चीन म्यांमार को बीजिंग की विदेश नीति महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखता है.
चीन को म्यांमार के समुद्री रास्ते से मदद
चीन म्यांमार के समुद्री रास्ते कि मदद से निर्यात के साथ-साथ गैस के आयात के लिए विवादित और संभावित कमजोर मलक्का जल मार्ग को बाईपास कर सकता है. बर्टिल लिंटनर ने ईस्ट एशिया फाउंडेशन के आर्टिकल में इस बात का जिक्र किया है. म्यांमार कि सेना ने साल 2021 में देश में तख्तापलट कर दिया था.
वहीं म्यांमार की सेना की पकड़ अपने शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध जारी रखने के बावजूद मजबूत बनी हुई है. इससे पहले 2020 में आंग सान सू की के चुनाव जीतने के बाद सैन्य जुंटा ने 2021 में तख्तापलट किया था.
इसके बाद पश्चिम ने म्यांमार पर प्रतिबंध लगाए रखे है. पश्चिम देशों के तरफ से प्रतिबंध लगाने के बाद से म्यांमार देश में चीन एक मुख्य जियोपॉलिटिकल प्लेयर के रूप में उभरा है. हिंद महासागर के महत्व को देखते हुए साल 1985 में चीन के पूर्व मंत्री पान क्यूई ने ध्यान दिया था.
म्यांमार की सेना को चीन पहुंचाएगा मदद
चीन म्यांमार में चीन-म्यांमार इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने कि योजना कर रहा है. इसके तहत म्यांमार चीन को निर्यात के लिए अपने समुद्री मार्ग का इस्तेमाल करने की अनुमति दे सकता है.
इसके अलावा चीन म्यांमार तट से गैस और तेल पाइपलाइनों का इस्तेमाल कर सकता है, जो साल 2013 और 2017 में म्यांमार से युन्नान के बीच बनाए गए थे. हाल में रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार को हथियार, प्रशिक्षण और अन्य सैन्य सहयोग पहुंचाने में मदद करता है. फिलहाल म्यांमार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया है. इसकी सेना को मदद के लिए चीन की ओर रुख करना पड़ा है.
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