China Nepal Relations: नेपाल में पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद से ड्रैगन इस देश पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. चीन की शी जिनपिंग (Xi Jinping) की सरकार किसी भी तरह से नेपाल को भ्रमित करने की कोशिश में जुटी हुई है. चीन (China) के बीआरआई प्रोजेक्ट को लेकर विवाद के बीच राष्ट्रपति जिनपिंग कुछ अलग तरीके से नेपाल को अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं. चीन की सरकार ने नेपाल से स्ट्रेटेजिक प्रोजेक्ट ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) को लेकर समर्थन की मांग की है. 


पिछले कुछ दिनों में नेपाल में चीन की कूटनीतिक पहुंच काफी बढ़ गई है. हालांकि नेपाल के सियासी दल के नेताओं ने पोखरा हवाई अड्डे को लेकर चीन के अचानक बयान देने और इसे अनावश्यक रूप से बीआरआई (BRI) से जोड़ने पर चिंता जताई थी.


क्या जीएसआई में शामिल होगा नेपाल?


चीन ने नेपाल की पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से कहा है कि वो दो स्ट्रेटेजिक प्रोजेक्ट ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव (GDI) और ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) को लागू करने के लिए सपोर्ट करे. वहीं, नेपाल की सरकार ने कहा है कि उनका देश किसी भी सिक्योरिटी अलाइंस में हिस्सा नहीं लेगा. हालांकि नेपाल में चीन के इस प्रस्ताव पर स्टडी करने की बात कही जा रही है. 


नेपाली राजदूत के साथ हुई थी बैठक


बीजिंग में चीन ने नेपाली राजदूत बिष्णु पुकार श्रेष्ठ के साथ बैठक की थी. चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक लियू जिनसॉन्ग ने इन दो मुद्दों को उठाया था, जिस पर नेपाल सरकार ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की. चीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक लियू ने कहा कि चीन काठमांडू में नई सरकार के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को गहरा करने के लिए उत्सुक है.


नेपाल पर कब्जा जमाना चाहता है ड्रैगन?


चीन ने नेपाली राजदूत से कहा था कि वो BRI के साथ-साथ GSI और GDI को गति देना चाहता है. जीडीआई के तहत कुछ कार्यक्रम काठमांडू में पहले ही लागू किए जा चुके हैं. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल चीन के जीएसआई पर सकारात्मक हैं. हालांकि, राजनेताओं और विशेषज्ञों का मानना ​​है कि नेपाल सरकार को इस पर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि यह एक सुरक्षा मुद्दा है. 


क्या है जीएसआई?


अप्रैल 2022 में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) की घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि यह वैश्विक सुरक्षा चिंताओं को दूर करेगा. अपने भाषण के दौरान जिनपिंग ने सुरक्षा के लिए व्यापक, सहकारी और टिकाऊ दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया था. ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव चीन के रणनीतिक उद्देश्यों से निकटता से जुड़े हुए हैं, जिन्हें 2013 से क्षेत्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सोच से आकार मिला है.


जीएसआई (GSI) में चार प्रमुख पहलों का कार्यान्वयन शामिल है. इसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, हेल्थ सिल्क रोड, डिजिटल सिल्क रोड और ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव शामिल हैं. ये दुनिया भर में अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ाने के चीन के प्रयासों को प्रदर्शित करती है. 2017 में स्टेट परिषद सूचना कार्यालय ने एक श्वेत पत्र जारी किया जिसमें कहा गया था कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सुरक्षा ढांचा तैयार करना है.


इसके साथ ही इसमें सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने और देशों के नागरिकों के स्वतंत्र रूप से तय किए गए विकास और सामाजिक व्यववस्था का सम्मान करने की बात है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध रहने की भी बात दोहराई गई है.


भारत के खिलाफ साजिश रच रहे जिनपिंग?


नेपाल भारत और चीन दोनों के साथ बॉर्डर शेयर करता है. लद्दाख गतिरोध और अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर मतभेदों की वजह से भारत और चीन के बीच संबंध हाल के दिनों में ठीक नहीं रहे हैं. ऐसे में चीन भारत के खिलाफ नेपाल का इस्तेमाल करने की कोशिश में है. प्रचंड के पीएम बनने के एक दिन बाद ही चीन ने नेपाल-चीन क्रॉस-बॉर्डर रेलवे लाइन का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम काठमांडू भेजी थी.


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