चीन के पास अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना, भारत के दर्जनभर पड़ोसी देशों में बनाना चाहता है सैन्य ठिकाना
चीन के पास 350 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं. जबकि, अमेरिका के पास सिर्फ 293 युद्धपोत ही हैं. हालांकि, अमेरिकी युद्धपोत चीन से ज्यादा आधुनिक हैं.
बीजिंग: चीन ने पिछले कुछ सालों में अपनी नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ा ली है. अब चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. भारत को घेरने के लिए चीन की निगाहें पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार में अपने नौसैनिक अड्डे बनाने पर है. इसके अलावा चीन परमाणु हथियारों की संख्या दोगुना करने की दिशा में भी काम कर रहा है.
पेंटागन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार के अलावा भारत के करीब दर्जनभर देशों में चीन मजबूत सैन्य ठिकाना स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. ये देश हैं- थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, केन्या, संयुक्त अरब अमीरात, सेशल्स, तंजानिया, अंगोला और तजाकिस्तान. इन संभावित चीनी ठिकानों का उद्देश्य नौसेना, वायुसेना को और मजबूती प्रदान करना है.
दक्षिण चीन सागर में बैलिस्टिक मिसाइलें दागकर अपनी अभ्यास गतिविधियां बढ़ायी वहीं चीन ने दक्षिण चीन सागर में हैनान द्वीपसमूह और पारासेल द्वीपसमूह के बीच वाले इलाकों में मिसाइलें दागकर पूर्व घोषित अभ्यास गतिविधियों को बढ़ा दिया है. पेंटागन का कहना है कि रक्षा मंत्रालय पारासेल द्वीपसमूह के आस-पास बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण समेत अन्य सैन्य अभ्यास करने के चीन के हालिया फैसले को लेकर चिंतित है.
पेंटागन ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्रालय दक्षिण चीन सागर में पारासेल द्वीपसमूह के आस-पास 23 से 29 अगस्त के बीच बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण समेत अन्य सैन्य अभ्यास करने के चीन के हालिया फैसले को लेकर चिंतित है. पेंटागन ने कहा कि ऐसे अभ्यास दक्षिण चीन सागर में पक्षों के आचरण पर 2002 की घोषणा के तहत चीन की प्रतिबद्धताओं का भी उल्लंघन करते हैं. यह घोषणा उन गतिविधियों से बचने के लिए की गई थी जो विवादों को और जटिल बना सकती हैं या बढ़ा सकती हैं तथा शांति और स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं. साथ ही यह चीन और आसियान के बीच आचार संहिता के लिए जारी वार्ता के साथ उसकी मंशा पर सवाल उठाता है.
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