नई दिल्लीः चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर से माना है कि गलवान घाटी की हिंसा में उसके 4 सैनिक मारे गए थे और एक सैनिक घायल हुआ था. चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने शुक्रवार को इन सभी सैनिकों को बहादुरी पदक से नवाजा. हालांकि, भारत और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया एजेंसियों का मानना है कि इस हिंसा में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे.
चीन ने मानी सैनिकों के मारे जाने की बात
चीन के सरकारी टीवी, सीजीटीएन ने बताया कि शुक्रवार को सीएमसी ने मारे गए इन सभी सैनिकों को फ़र्स्ट क्लास मेरिट साइटेशन और मानद उपाधि से सम्मानित किया है. सीजीटीएन के मुताबिक, पीएलए आर्मी के शहीद चेन होंगजुन (बटालियन कमांडर) को 'हीरो' की उपाधि दी गई है तो वहीं तीन अन्य शहीद सैनिक चेन जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग जुओरन को फ़र्स्ट क्लास मेरिट साइटेशन दिया गया है. चीन के जवानों का नेतृत्व करने वाले एक कर्नल, क्यू फेबाओ (रेजीमेंटल कमांडर) जो हिंसा के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे उन्हें 'हीरो कर्नल' की उपाधि से सम्मानित किया गया है.
मारे गए सैनिकों को किया गया सम्मानित
हालांकि, सीजीटीएन ने गलवान का नाम नहीं लिया है और कहा है कि 'जून के महीने में एक सीमा विवाद' में ये क्षति हुई है. लेकिन ग्लोबल टाइम्स ने साफ लिखा है कि गलवान घाटी की हिंसा (15-16 जून 2020) में ये हानि हुई है.
हालांकि, भारत और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का मानना है कि चीन के कम से कम 45 सैनिक गलवान घाटी की हिंसा में मारे गए थे. लेकिन आपको यहां पर ये बता दें कि सीएमसी ने मारे गए कुल सैनिकों की संख्या नहीं बताई है, उन सैनिकों की जानकारी दी गई है जिन्हें बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया है.
PLA सैनिकों को दिया गया सम्मान
चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने ये सम्मान पीएलए सैनिकों को दिया है. सीएमसी, चीन की सबसे बड़ी सैन्य संस्था है और चीन के राष्ट्रपति, शी जिनपिंग इसके चैयरमैन हैं.
गलवान घाटी की हिंसा में भारतीय सेना के कुल 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, उनमें से छह को वीरता मेडल से नवाजा गया था. कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र और पांच अन्य सैनिकों (चार मरणोपरांत) को वीर चक्र दिया गया था. गौरतलब है कि नौ महीने के टकराव के बाद भारत और चीन पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए हैं और दोनों देशों की सेनाओं ने फ्रंटलाइन से पीछे हटना शुरू कर दिया है.
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