China Pakistan CPEC Projects update: पाकिस्तान के नए सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir) चार दिन के चीन (China) दौरे पर हैं. उनका ये दौरा दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा था. हालांकि, अब खबरें आ रही हैं कि इस बार दोस्ती वाला मामला नहीं है.
चीन पहले ही चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) की 52 परियोजनाओं में 48 बिलियन अमेरीकी डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है. इस बीच पाकिस्तानी हुकूमत फिर से आर्थिक पैकेज चाहती थी. हालांकि, इस बार चीन ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के साथ बात की है और इस बातचीत में चीनी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि वे इस्लामी मुल्क में चीनी नागरिकों और हितों पर हमलों को रोकने में विफल रहे तो उनकी "सदाबहार दोस्ती" पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
चीन के अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स खतरे में
चीन के पाकिस्तान में चल रहे अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स खतरे में हैं, क्योंकि वहां आतंकी हमले होते रहे हैं. आतंकी हमलों में कई चीनी नागरिकों की जान जा चुकी है. इससे चीन की सरकार खासा चिंतित है. बताया जा रहा है कि इस महीने की शुरुआत में बीजिंग में पाक की आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को यह स्पष्ट संदेश दिया गया था कि पाकिस्तान में अब आगे से चीनी नागरिकों पर हमले नहीं होने चाहिए. यही बात अब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की चीन यात्रा के दौरान भी उठाई गई है.
शहबाज शरीफ के नेतृत्व से परेशान हैं अधिकारी
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व से परेशान पाकिस्तानी राजनीतिक नेतृत्व चीनी सुरक्षा चिंताओं को समायोजित करने की पूरी कोशिश कर रहा है और उसने चीनी नागरिकों और सीपीईसी परियोजनाओं से संबंधित सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए कई उच्च-स्तरीय समितियों का गठन किया है, ताकि भविष्य में बीजिंग की परियोजनाओं पर और अधिक ध्यान दिया जा सके. ऐसे संकेत हैं कि पाकिस्तान चीनी चिंताओं को दूर करने के लिए यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति में चरमपंथी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) को सूचीबद्ध करने का प्रयास भी कर सकता है, क्योंकि इस संगठन ने पाकिस्तान के अशांत क्षेत्र में सीपीईसी परियोजनाओं पर काम कर रहे चीनी नागरिक को निशाने पर लिया है.
CPEC परियोजनाओं में देरी
CPEC के लिए चुनौतियां न केवल पाकिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा परिदृश्य से निकल रही हैं, बल्कि ये चुनौतियां विशेष रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान क्षेत्रों में चीन विरोधी भावनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण भी हैं. नवंबर 2022 में अफगानिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के रावलपिंडी के साथ युद्धविराम समझौते से हटने की मौजूदा अनिश्चितता के कारण आतंकवादी न केवल चीनी नागरिकों पर हमला कर रहे हैं, बल्कि सीपीईसी परियोजनाओं पर भी बेधड़क हमला कर रहे हैं. उसका नतीजा यह है कि अधिकांश CPEC परियोजनाओं में देरी हो रही है, क्योंकि चीनी नागरिक इन परियोजनाओं पर काम करने के लिए अनिच्छुक हैं, जैसे कि बीएलए, इस्लामिक स्टेट और तालिबान सहयोगी जैसे चरमपंथी समूह इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और इसे स्थानीय लोगों के बीच एक संप्रभुता का मुद्दा बना रहे हैं.
बलूचिस्तान में हो रहे हमले
चीनी नागरिकों और CPEC परियोजनाओं पर अधिकांश हमले बलूचिस्तान में हुए हैं, जहां बीजिंग ने ग्वादर बंदरगाह के आसपास विशेष आर्थिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारी निवेश किया है. पाकिस्तान में उपेक्षित बलूचिस्तान प्रांत न केवल विविध बलूचिस्तान चरमपंथी समूहों की आतंकी गतिविधियों का गढ़ है, बल्कि इस क्षेत्र में चाइनीज परियोजनाओं के खिलाफ स्थानीय लोगों का आक्रोश भी देखने को मिल रहा है. कई स्थानीय नेता ये मानते हैं कि पाकिस्तान चीन का मोहरा बन रहा है और चीन यहां की संपदा का इस्तेमाल अपने लिए करना चाहता है. दिसंबर 2022 में ग्वादर में "हक दो तहरीक" प्रदर्शन, जिसमें हजारों महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया, सीपीईसी परियोजनाओं के नाम पर चीनी और पाकिस्तान के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई गई थी.
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