Xi Jinping-Narendra Modi Meet in Samarkand: पिछले तीन साल में कोरोना काल के दौरान भारत और चीन के संबंध भी काफी संक्रमित हुए हैं, लेकिन अब संक्रमित संबंधों के ठीक होने की उम्मीद भी जगी है. दरअसल, उज़्बेकिस्तान की राजधानी में 16 सितंबर को होने वाली SCO शिखर बैठक के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होगी. करीब 34 महीने बाद दोनों देशों के प्रमुख आमने-सामने होंगे. इस दौरान दोनों ही नेता कई मुद्दों पर बात कर सकते हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण दोनों के बीच चल रहा सीमा विवाद का मुद्दा हो सकता है.
सीमा पर तनाव का मुद्दा होगा टेबल पर
बता दें कि इस मुलाकात से पहले पूर्वी लद्दाख में करीब 28 महीनों तक चला सीमा तनाव सुलझाने की कोशिश में चीन ने कुछ इलाकों से फौजें पीछे लेने पर रजामंदी भले ही जताई हो, लेकिन माना जा रहा है कि सीमा पर तनाव का यह मुद्दा मोदी-जिनपिंग मुलाकात की मेज पर जरूर रहेगा. पूर्वी लद्दाख के इलाके में चीन की आक्रामक मोर्चाबंदी और गलवान जैसी घटना के बाद दोनों देशों के सैनिक कई इलाकों पर करीब 28 महीने तक आमने-सामने की स्थिति में रहे. इतना ही नहीं अभी भी जहां देपसांग के इलाके में चीन की मोर्चाबंदी नहीं टूटी है.
बॉडी लैंग्वेज से काफी हद तक साफ हो जाएगी स्थिति
इन सबसे अलग लद्दाख के इलाके में चीन ने अपने सैनिक जमावड़े को अप्रैल 2020 की स्थिति तक कम नहीं किया है. सूत्रों के मुताबिक अक्टूबर 2019 में मामल्लापुरम की अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद समरकंद में संभावित मोदी-जिनपिंग मुलाकात में स्वाभाविक तौर पर सीमा तनाव का विषय बातचीत का एक अहम बिंदु होगा और दोनों देश के नेता इस पर बात करेंगे. कहा जा रहा है कि भारत जरूर इन मुद्दों को उठाएगा. इंडिया ने कई बार यह दोहराया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता ही भारत-चीन बेहतर संबंधों का आधार है.
ऐसे में इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि समरकंद में रूबरू होने पर दोनों नेताओं के बीच पिछली मुलाकातों की गर्मजोशी नदारद नजर आए. इस मुलाक़ात के दौरान दोनों नेताओं की बॉ़डी लैंग्वेज काफ़ी हद तक माहौल और नतीजों की गवाही देने को काफ़ी होगी.
आखिरी बार 2019 में मिले थे दोनों देशों के प्रमुख
दोनों नेता पिछली बार ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में 13 नवंबर 2019 को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे. भारत के मामल्लापुरम में हुई अनौपचारिक शिखर वार्ता के महज डेढ़ महीने के भीतर दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाकात थी. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मीयता के साथ इस बात का जिक्र किया था कि 2014 से 2019 के दौरान महज पांच साल के अंदर दोनों के बीच इतना विश्वास और मित्रता बनना अपने आप में बहुत बड़ी बात है.
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