China Maldives Relations : चीन मालदीव को धीरे-धीरे अपने जाल में फंसाता जा रहा है. इसलिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत विरोधी बयान भी देते रहते हैं. अब चीन ने एक और नई चाल चली है, जिसमें तिब्बत का राज छिपा है. दरअसल, चीन ने इस साल तिब्बत के ग्लेशियर से 3000 मीट्रिक टन पानी मालदीव को गिफ्ट में दिया है. चीन इसे मालदीव के साथ अपनी दोस्ती बता रहा है, लेकिन इसके पीछे ड्रैगन का तिब्बत एजेंडा है, जिसमें मालदीव के राष्ट्रपति फंसते जा रहे हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत के ग्लेशियर से मार्च और मई में 3000 मीट्रिक टन उपहार में दिया था. चीन के इस एजेंडे के बाद भारत भी सतर्क हो गया है. चीन तिब्बत के जल संसाधनों का दोहन कर रहा है. वहां के स्थानों के नाम भी बदल रहा है. अब भारत सरकार भी इसका जवाब देगी. वहीं, अमेरिका से एक प्रतिनिधिमंडल दलाई लामा से मिलने भारत भी आया है, इससे भी चीन को काफी परेशानी हो रही है.


यह है चीन का असली प्लान
चीन ने मालदीव को पानी देने से पहले तिब्बत के लोगों पर कुछ पाबंदियां लगाई थीं. पानी की पहली खेप भेजे जाने से एक सप्ताह पहले 20 मार्च को चीन ने जल संरक्षण नियम बनाए, जो 1 मई से लागू हुए. इन नियमों के तहत तिब्बती लोगों पर पानी का इस्तेमाल करने पर पाबंदियां लगाई गई, जबकि चीन खुद यहां से पानी दूसरों को दे रहा है. ड्रैगन सोशल मीडिया पर भी तिब्बतियों से पानी बचाने के लिए कह रहा है, जबकि बोतलबंद कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए तिब्बत का जल का दोहन कर रही हैं. जिसकी अब पोल खुल गई है.


भारत देगा मुंहतोड़ जवाब
कुछ खबरें बीच में आई थीं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों के नाम बदले हैं, क्योंकि चीन अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताता है. इसे चीन ने जंगनान या दक्षिणी तिब्बत का नाम दिया है. अब भारत भी चीन की भाषा में उसे जवाब दे रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने तिब्बत में करीब 30 स्थानों के नाम बदलकर इसी तरह की रणनीति की योजना बनाई है. हालांकि, सेना मामले को आगे बढ़ाने से पहले मोदी सरकार से हरी झंडी का इंतजार कर रही है.