China Protest Amid Coronavirus: चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना वायरस के मामलों को बढ़ते ही देश के कई हिस्सों में सरकार ने जीरो कोविड पॉलिसी को कड़ाई से लागू किया, जिसके बाद चीनी नागरिकों के सब्र का बांध टूट गया. काफी समय से लॉकडाउन और कोविड प्रतिबंधों को झेल रहे नागरिकों ने अब शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ झंडा उठा लिया है.


देश के तमाम हिस्सों में विरोध प्रदर्शन की आग फैल गई है. हालात भी बेकाबू होते दिख रहे हैं. वहीं अब सरकार ने कई शहरों में पाबंदियों को भी कम कर दिया है. अभी के मौजूदा हालात और अब तक क्या-क्या हुआ है, यहां समझिए सिर्फ 10 प्वाइंट्स में-



  • चीन के उरुमकी में एक इमारत में आग लगने के बाद ही चीन में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. दरअसल, इमारत में आग लगने की वजह से 10 लोगों की मौत हो गई. नागरिकों ने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के कारण इमारत में फंसे लोगों को आपातकालीन सेवाओं का लाभ समय पर नहीं मिला और उसी वजह से इतने लोगों की मौत हो गई.

  • उरुमकी में हुए इस हादसे के बाद लोगों में आक्रोश तेजी से बढ़ गया. यहीं से देश के तमाम हिस्सों विरोध प्रदर्शन की आग फैली. शुक्रवार रात से ही कई जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और हालात बेकाबू होते चले गए. शंघाई से लेकर बीजिंग तक लोग सड़कों पर आ गए और एंटी लॉकडाउन रैलियों का आयोजन हुआ.

  • चीन में विरोध प्रदर्शन की आग इतनी ज्यादा बढ़ गई कि कई जगह हिंसा की खबरें भी आईं. चीन में मौसम का तापमान जरूर नीचे जा रहा है, लेकिन लोगों का गुस्सा अब उबाल बन चुका है. शंघाई में शनिवार और रविवार की दरमियानी रात कई जगह प्रदर्शनकारियों को पुलिस के बीच हाथापाई देखने को मिली. पुलिस ने सैकड़ों लोगों को हिरासत में भी लिया.

  • चीन में विरोध प्रदर्शन को दिखाते कई वीडियो भी लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. चीनी नागरिक अब सिर्फ अधिकारियों को ही स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे, बल्कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ भी आवाज बुलंद कर रहे हैं. लगभग हर रैली में शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है. 

  • शनिवार को चीन के शंघाई, बीजिंग और वुहान में भी शी जिनपिंग के खिलाफ नारे लगे. नागरिकों ने कहा, "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी स्टेप डाउन और शी जिनपिंग पद छोड़ो." इन नारों की गूंज पूरे चीन में सुनाई दे रही है. हालांकि, चीनी सरकार विरोध की आवाज को कुचलने के लिए पुलिस का सहारा ले रही है और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है.

  • चीनी पुलिस सिर्फ प्रदर्शनकारियों को ही नहीं बल्कि पत्रकारों को भी हिरासत में ले रही है. रविवार रात बीबीसी के एक पत्रकार का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. जिसमें कुछ पुलिस कर्मी उसे पीटते हुए नजर आ रहे हैं. बीबीसी ने बताया कि उनके पत्रकार को पुलिस ने कई घंटों तक हिरासत में रखा और उसके साथ मारपीट भी की.

  • बीबीसी के आरोपों और मीडिया रिपोर्ट्स के बाद इस घटना पर चीन का भी बयान सामने आया. चीनी प्रशासन ने कहा कि जब बीबीसी के रिपोर्टर को हिरासत में लिया गया था तो उसने अपनी पहचान 'पत्रकार' के रूप में नहीं बताई थी. 

  • चीन में जारी विरोध प्रदर्शन पर अमेरिका का भी बयान सामने आया है. व्हाइट हाउस ने कहा, "लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है, फिर वो दुनिया के किसी भी कोने में हो या अमेरिका में हों. अब चीन में 'जीरो कोविड पॉलिसी' काम करने की संभावनाएं कम है."

  • उल्लेखनीय है कि शंघाई और बीजिंग में मंगलवार सुबह भी पुलिस गश्त करती नजर आ रही है. दरअसल, कुछ ग्रुप्स ने टेलीग्राम के माध्यम से लोगों को दोबारा इकट्ठा होने के लिए संदेश भेजा है. नागरिकों का कहना है कि पुलिस ने उनसे रोककर यह भी पूछा रही है कि क्या उनके फोन में टेलीग्राम ऐप और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है. बता दें कि चीन में अधिकांश लोगों के लिए वीपीएन अवैध है, जबकि टेलीग्राम ऐप चीन के इंटरनेट से ब्लॉक है.

  • विरोध प्रदर्शन के चलते चीनी सरकार अब बैकफुट पर नजर आ रही है. सोमवार को चीन के उरुमकी में कुछ कोविड पाबंदियों में ढील दी गई. इसी के साथ, चीनी सरकार का कहना है जीरो कोविड पॉलिसी लागू रहेगी, लेकिन अब ढील भी दी जाएगी. बीजिंग में अब अपार्टमेंट्स के लिए जाने वाले रास्तों को अब ब्लॉक नहीं किया जाएगा. वहीं, ग्वांग्झू में मास टेस्टिंग के नियमों में भी छूट दी गई है. उइगर बहुल प्रांत शिनजियांग में भी कई इलाकों को खोल दिया है.


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