हमें फर्क नहीं पड़ता अमेरिका का राष्ट्रपति कौन... डोनाल्ड ट्रंप की जीत से चीन में पसरा सन्नाटा, किस बात की सता रही चिंता?
शी जिंनपिंग को डर सता रहा है कि कहीं डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ फिर से ट्रेड वॉर न छेड़ दें, जो उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में शुरू की थी. चाइनीज आइटम्स पर भारी टैक्स लगा दिया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद चीन में चिंता दिखाई देने लगी है. वहां के विदेश मंत्रालय की ओर से भी सधी सी प्रतिक्रिया आई है कि अमेरिका में कोई भी राष्ट्रपति बने उससे फर्क नहीं पड़ता है और चीन अपनी पुरानी नीतियों पर चलता रहेगा.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चिंता का सबसे बड़ा कारण ये है कि डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर जो बातें चुनाव अभियान में कही हैं, अगर वह लागू होती हैं तो इसका असर चीन के बाजार पर पड़ेगा और सीधे तौर पर इससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर छेड़ दी थी. चाइनीज आइटम्स पर भारी टैक्स लगा दिया था. चीनी कंपनियों की स्क्रूटनी टाइट कर दी थी, जिसका असर दोनों देशों के बिजनेस पर पड़ा था. इस वजह से ट्रंप की वापसी के बाद चीन में टेंशन दिखाई देने लगी है.
डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, 'राष्ट्रपति चुनाव अमेरिका का अंदरूनी मामला है. हम अमेरिकी जनता के चुनाव का सम्मान करते हैं. जहां तक व्यापार की बात है हम काल्पनिक बातों का जवाब नहीं देते हैं. अमेरिका को लेकर हमारी नीति एकदम साफ है. हम अमेरिका और चीन के रिश्तों को आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और दोनों देशों के हित के नजरिए से देखते हैं और अपनी इसी नीति पर आगे भी चलते रहेंगे.'
चीन को किस बात का डर?
चीन को डर सता है कि ट्रंप चीन के खिलाफ फिर से ट्रेड वॉर ने शुरू कर दें. डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी अभियान में कहा था कि चीन से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाएंगे. उन्होंने 60 फीसद टैरिफ लगाने की बात कही थी. ऐसे में चीन से अमेरिका जाने वाले सामान पर रोक लग सकती है. चीन अमेरिका को हर साल 400 बिलियन डॉलर का सामान बेचता है. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के सबसे पसंदीदा राष्ट्र के दर्जे को खत्म करने की भी बात कही थी.
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
चीन और अमेरिका के ट्रेड रिश्तों को लेकर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय हैं. भारत के नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप उन देशों पर शुल्क और आयात प्रतिबंध लगाएंगे, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे अमेरिका के अनुकूल नहीं हैं, जिनमें चीन और कुछ यूरोपीय देश शामिल हैं. अगर ऐसा हुआ तो इससे भारतीय निर्यात के लिए बाजार खुल सकते हैं.
बार्कलेज ने बुधवार को एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि व्यापार नीति के लिहाज से डोनाल्ड ट्रंप एशिया के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क प्रस्ताव चीन के सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी की कमी लाएंगे और क्षेत्र की बाकी अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डालेंगे.
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