India-USA iCET: भारत-US में डिफेंस और टेक्नोलॉजी की साझेदारी बढ़ने पर भड़का चीन, कहा- 'हमारे तकनीकी विकास को रोकने की कोशिश'
China Over India-US: भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी चीन को खटकने लगी है. दोनों देशों की नई पहल का आकलन करते हुए चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
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US-India Relation: हाल ही में भारत (India) और अमेरिका (America) ने क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) की शुरुआत की है. इसकी मदद से दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाया है. इसके बाद चीन (China) का तीखा रिएक्शन सामने आया है. चीन ने कहा कि यह अमेरिका का चीन की जगह भारत को सप्लाई चेन का विकल्प बनाने की कोशिश है.
नेशनल डिफेंस एडवाइजर अजीत डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन ने बीते बुधवार (1 फरवरी) को विशेष रूप से टेक्नोलॉजी के एरिया में भारत और अमेरिका संबंधों को पॉलिटिकल, कॉमर्शियल और साइंटिफिक नजरिए से मजबूत करने पर चर्चा की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल मई में iCET पर यूएस-इंडिया की पहल की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच टेक्नोलॉजी साझेदारी और डिफेंस टेक्नोलॉजी सहयोग को बढ़ाना और विस्तार करना है. डिफेंस के मुद्दे पर iCET का टारगेट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आर्मी से जुड़ी मशीनरी जैसी एरिया में भारत-अमेरिका सहयोग का विस्तार करना है. यही नहीं, दोनों देशों के बीच एक नए बाईलेटरल डिफेंस टेक्नोलॉजी सहयोग के रोडमैप की घोषणा भी की गई.
अमेरिका के साथ संबंधों को बढ़ाने के लिए तैयार
डिफेंस बकेट में कई और चीजें भी हैं, जैसे कि अमेरिका और भारत को जोड़ने के लिए एक नया इनोवेशन ब्रिज लॉन्च करना. इस तरह की पहल ने चीन को नाराज कर दिया है, सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने iCET को "एक ही बिस्तर, अलग सपने" का उदाहरण देकर टारगेट किया है. चीन का मानना है कि भारत टेक्नोलॉजी को एडवांस करने और ग्लोबल टेक्नोलॉजी की सप्लाई चेन में अपनी स्थिति को बदलने के लिए अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बढ़ा रहा है.
चीन का विकल्प तैयार करने की कोशिश
शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के लियू जोंग्यी ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि जहां तक अमेरिका का भारत को अपने साथ जोड़ने का मामला है, तो उसे वह पूरा करना होगा जो भारत चाहता है. इससे अमेरिका भारत को एक गहरे दोस्त की तरह पेश कर सकता है. दूसरी ओर यह एक ऐसे एजेंडे को बढ़ावा दे सकता है, जिसे चीन की जगह पर भारत अमेरिका के लिए एक सप्लाई चेन का विकल्प बनकर उभर सकता है.
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह भी कहा गया है कि पहल अमेरिका की सोच का हिस्सा है, लेकिन इसमें नतीजे मिलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि भारत के अमेरिका की प्लेबुक का पालन करने की संभावना नहीं है. वहीं एक चीनी अधिकारी ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, "अमेरिका चीन के तकनीकी विकास को रोकने के लिए अपनी पहल में शामिल होने के लिए भारत को लुभाकर एक तीर से दो शिकार करना चाहता है."
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