बीजिंग: चीन के सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में कुछ बेहद अभूतपूर्व हुआ है. दुनिया के इस दूसरे सबसे शक्तिशाली देश ने अपनी पैदल सेना का साइज़ आधा कर दिया. लेकिन अगर इस कदम के बारे में जानकर आपको आश्चर्य हो रहा है कि आखिर कोई देश अपने सैन्य ताकत को कमज़ोर क्यों करेगा तो आपको बता दें कि ड्रैगन ने अपनी नेवी और एयरफोर्स को कई गुना ताकतवर बना लिया है.
चीन ने ये कदम पीएलए को एक व्यापक सैन्य ताकत बनाने के लिहाज़ से उठाया है. दो मिलियन यानी 20 लाख़ के करीब सैन्य बल वाले पीएलए ने अपनी नेवी, एयर फोर्स और रणनीतिक बलों को बेहद ताकतवर बना लिया है. हालांकि, इस कदम के तहत चीनी पैदल सेना की संख्या आधी कर दी गई है. ये जानकारी हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने शिन्हुआ के हवाले से सार्वजनिक की है.
शिन्हुआ का कहना है कि पीएलए के इतिहास में ये नया डेटा अभूतपूर्व है. पैदल सेना का अब 50 प्रतिशत हिस्सा ही बचा है. लगभग आधे गैर लड़ाके इकाईयों को समाप्त कर दिया गया है. इसकी वजह से पैदल सेना में लगभग 30 प्रतिशत की कटौती की गई है. इस बदलाव की शुरुआत राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी. इसके तहत तीन लाख़ पैदल सैनिकों को हटाया गया है. बावजूद इसके चीनी सेना अपनी 20 लाख़ की संख्या के साथ विश्व की सबसे बड़ी सेना है.
ताज़ा बदलाव में चीनी सेना के चार भाग अहम हो गए हैं. इनमें नेवी, एयरफोर्स, रॉकेट फोर्स और रणनीतिक समर्थन बल शामिल हैं. ये चारों मिलकर अब चीनी सैन्य ताकत का आधा हिस्सा बन गए हैं. इसकी वजह से आर्मी का कद छोटा हो गया है जो कि एतिहासिक रूप से सबसे मज़बूत रही है. चीन ने बीते कुछ सालों में अपनी नेवी में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं जिसके तहत इसके पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर है, दूसरे का ट्रायल चल रहा है और तीसरे का निर्माण जारी है.
चीन की आधिकारिक मीडिया की मानें तो ड्रैगन पांच से छह एयरक्राफ्ट कैरियर को नेवी में शामिल करने का प्लान बना रहा है. रॉकेट फोर्स और रणनीतिक समर्थन बल पूरी तरह से मिसाइल आधारित युद्ध को समर्पित है. शंधाई स्थित रक्षा विश्लेषक नी लेक्सियोंग का कहना है कि पहले चीनी सेना की ताकत ऐसी थी जो घर में केंद्रीत थी. लेकिन नए बदलाव के तहत अब चीन दूर दराज के क्षेत्रों में भी अपने रणनीतिक हितों की रक्षा कर सकेगा.
नी ने ये भी कहा कि अब पैदल सेना के अलावा की तीन यूनिट्स युद्ध की स्थिति में चीन के लिए बड़ी भूमिका निभाएंगी जिसके जरिए दुश्मन को बॉर्डर के बाहर जाकर भी सबक सिखाया जा सकेगा. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मॉडर्न युद्ध में हवा, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस में जो मज़बूत होगा उसके जीतने की संभावना होगी. उन्होंने कहा कि इसके पहले चीनी सेना उस मॉडल पर काम करती थी जिसे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्थापित किया गया था.
उन्होंने कहा कि पिछले मॉडल में चीनी सेना में कई अधिकारी थे. नए मॉडल के तहत इन अधिकारियों का पद समाप्त हो गया है और उन्हें नए परिवेश के हिसाब से उन्हें ढालना होगा. अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो समाप्त हो जाएंगे. चीनी फौज के पास पांच स्वतंत्र ब्रांच हैं जिनमें आर्मी, नेवी एयरफोर्स, रॉकेट फोर्स और रणनीतिक समर्थन बल हैं. रणनीतिक समर्थन बल का काम साइबर, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के क्षेत्र में चीन की कमान संभालना है.
अंतिम दो को पिछले तीन सालों में स्थापित किया गया है. ये जिनपिंग की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत चीनी सेना को मॉडर्न किया जाना है. पीएलए का गठन 1927 में रेड आर्मी ऑफ चाइन यानी चीन की लाल आर्मी के तौर पर हुआ था. ये 1949 के गृह युद्ध में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की जीत का सबसे बड़ा हथियार और वजह था. लेकिन 1950 से 2005 तक चीनी सेना में हुए बड़े बदलावों के दौरान ये पहला मौका है जब फौज का कद छोटा किया गया है.
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