कोरोना वायरस: चीन ने कहा- ब्रिक्स देशों के सामने यह गंभीर समस्या, एकजुट रहने की जरूरत
चीन ने ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की.चीन का कहना है कि कोरोना वायरस प्रकोप के बीच ब्रिक्स देशों को सही कदम उठाने चाहिए.
बीजिंग: चीन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अमेरिका और अन्य देशों की ओर से बढ़ते दबाव के बीच ब्रिक्स देशों से कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये एकजुट रहने और सही कदम उठाने के लिये कहा है.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में कोविड-19 के तेजी से प्रसार ने पूरे विश्व में लोगों की जान और स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल दिया है. इससे दुनिया भर में लोगों की आवाजाही बाधित हुई है. साथ ही इसने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के सामने भी गंभीर चुनौती पेश की है.
वांग ने कहा, '' क्या हमें विज्ञान और तर्क को हावी होने देना चाहिए या राजनीतिक विभाजन पैदा करना चाहिए. सीमाओं पर सहयोग को कम करना चाहिए या खुद को अलग-थलग कर लेना चाहिये. बहुपक्षीय समन्वय को बढ़ावा देना चाहिए या एकतरफावाद का पालन करना चाहिए? हम सभी को इन सवालों के ऐसे जवाब देने चाहिये जो इतिहास की कसौटी पर खरे उतरें.''
एक ओर जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन के वुहान से फैलना शुरू हुए कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच को लेकर आह्वान तेज कर दिया है. वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी समेत कई देश चीन से अधिक पारदर्शिता बरतने की अपील कर रहे हैं.
चीन का कहना है कि वायरस की उत्पत्ति विज्ञान का विषय है. साथ ही इसका अध्ययन वैज्ञानिकों और पेशेवरों की ओर से किया जाना चाहिए. वांग ने कहा कि ब्रिक्स देशों ने मानव जाति की भलाई के हित में बहुत कार्य किए हैं और हमेशा न्याय और एकता के साथ खड़े रहे हैं.
चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने वांग के हवाले से कहा कि हमें सही कदम उठाते हुए सही काम करने चाहिये.' दरअसल अमेरिका ने इस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन परस्त होने और सही जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए उसे दिये जाने वाले अनुदान को रोक लिया था, जिस पर चीन ने ऐतराज जताया था.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लाउरोव की अध्यक्षता में हुई ब्रिक्स देशों की बैठक में वांग के अलावा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री अर्नेस्टो, अराउंजो और दक्षिण अफ्रीका के अंतराराष्ट्रीय सहयोग मामलों के मंत्री जी एन पेंडोर ने भी भाग लिया.
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