Dalai Lama Successor: 'दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार हमारा', चीन ने किया बड़ा दावा
Dalai Lama: दलाई लामा हमेशा चीन के निशाने पर रहे हैं. चीन उन्हें भिक्षुओं के रूप में भेड़िया कहता है. इतना ही नहीं चीन ने उनके समर्थकों को 'दलाई गुट' करार देते हुए उन्हें आतंकवादी भी कहा है.
Dalai Lama Successor: चीन (China) ने दलाई लामा के अगले उत्तराधिकारी (Dalai Lama Successor) को चुनने के अधिकार को लेकर बड़ा दावा किया है. चीन ने दावा किया है कि बीजिंग के पास 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो के अगले उत्तराधिकारी (Successor) को चुनने का एकमात्र अधिकार है. एक थिंक टैंक पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (POREG) के अनुसार, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) की सरकार अगले दलाई लामा के चयन में अंतिम अधिकार के अपने दावों पर कायम है. दरअसल, चीन का ये दावा यूएस-तिब्बत नीति (US-Tibet Policy) के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन करना तिब्बतियों के हाथों में है.
तिब्बत के वर्तमान में दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो हैं. उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में तब चुना गया था जब दो साल के थे. बचपन से ही उनका सामना चीनी ताकत से होता रहा है, जिन्होंने न केवल उनके तिब्बत पर अधिकार कर लिया, बल्कि उन्हें और कई अन्य तिब्बतियों को भी भारत में निर्वासन के लिए मजबूर कर दिया है. निर्वासन के बाद भी दलाई लामा हमेशा चीन के निशाने पर रहे. चीन उन्हें भिक्षुओं के रुप में भेड़िया कहता है. इतना ही नहीं चीनियों ने उनके समर्थकों को 'दलाई गुट' करार देते हुए उन्हें आतंकवादी भी कहा है.
दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर चीन का दावा
वहीं, अगले दलाई लामा को कैसे चुना जाएगा ये तय करने के लिए चीनी अधिकारियों ने आदेश पारित किया है. इनमें से 1 सितंबर, 2007 का आदेश (आदेश संख्या 5) है जो तिब्बती बौद्ध धर्म में जीवित बुद्धों के पुनर्जन्म के प्रबंधन पर उपायों की रूपरेखा तैयार करता है. इस आदेश के अनुसार, अगले दलाई लामा के लिए पुनर्जन्म के आवेदन को चीन के सभी बौद्ध मंदिरों द्वारा पुनर्जन्म लामाओं को पहचानने की अनुमति देने से पहले भरा जाना चाहिए. इस तरह से चीनी राज्य ने खुद को अंतिम मध्यस्थ बना लिया कि क्या लामा का पुनर्जन्म होता है या नहीं? जिसकी वजह से ये कहने की जरूरत नहीं है कि देश और विदेश में तिब्बतियों को निराशा है.
पुनर्जन्म का विश्वास तिब्बत में प्रचलित
यह ध्यान देने योग्य है कि पुनर्जन्म वह विश्वास प्रणाली है जो तिब्बत में प्रचलित है. यह देखता है कि एक उच्च लामा अपने परिनिर्वाण के बाद मानव रूप में जन्म लेते हैं, जिसका अर्थ है संसार, कर्म और पुनर्जन्म से मुक्ति. तिब्बतियों द्वारा छह शताब्दियों से अधिक समय से पोषित इस पवित्र परंपरा पर सीधा हमला करते हुए चीनी अधिकारी अगले लामा का चयन करने के लिए अपने अधिकार का दावा करके वहीं डटे हुए हैं.
चीन की गंदी चाल
इस एजेंडे को अंजाम देने के लिए बीजिंग गंदी चाल चल रहा है. चीन दलाई लामा की संस्था के महत्व से अवगत है और उसने बौद्ध निवास के कब्जे के बाद तिब्बत और दलाई लामा को अपने अधीन लाने की पूरी कोशिश की है. चीनी नेतृत्व ल्हासा अपने उद्देश्य को साकार करने के लिए कई योजनाओं, चालों और युक्तियों के साथ आया है. सबसे पहले उन्होंने दलाई लामा के पुनर्जन्म पर चीन के दावे के अपने नरेटिव को बढ़ावा देने के लिए 5 नीतियां बनाईं.
पंचेन लामा के साथ ड्रैगन की बेईमानी
दूसरा, चीन ने ये दिखाने के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया कि कैसे मांचू (जिन्होंने 1644 से 1911/12 तक चीन पर शासन किया) के बाद से दलाई लामा के पुनर्जन्म (Dalai Lama Reincarnation) की बात आने पर चीन ही अंतिम आशीर्वाद देता है. तीसरा, चीन (China) ने गेलुग्पा में दूसरे सबसे बड़े लामा पंचेन लामा के साथ बेईमानी की है. चौथा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, (Chinese Communist Party) शासन ने 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) द्वारा चुने गए पंचेन लामा, गेधुन चोएक्यी न्यिमा को खारिज कर दिया और पांचवां उनके स्थान पर उनकी कठपुतली ग्यालत्सेन नोरबू को स्थापित कर दिया.
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