चीन ने भारत और अन्य 19 देशों से आने वाले लोगों के लिए कोरोना वायरस का चीन निर्मित टीका लगवाना अनिवार्य कर दिया है. नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘‘एक व्यवस्थित तरीके से दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बहाल करने के उद्देश्य से, 15 मार्च से, चीनी दूतावास और भारत में स्थित वाणिज्य दूतावास कोविड-19 का चीन निर्मित टीका लगवाने वाले लोगों और इसका प्रमाणपत्र रखने वालों की यात्रा को प्रोत्साहित करने के उपाय कर रहा है.’’
इस घोषणा का असर हजारों भारतीय छात्रों के अलावा चीन में कार्यरत पेशेवरों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर पड़ने की संभावना है, जो चीन लौटने के लिए बीजिंग से अनुमति मिलने का भारत में इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, भारत में कोविड-19 का कोई भी चीनी टीका उपलब्ध नहीं है. चीनी दूतावास ने नोटिस में यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि ये लोग भारत में चीन निर्मित टीका कैसे प्राप्त करेंगे क्योंकि यह इस देश (भारत) में उपलब्ध नहीं है.
ऐसे भारतीय छात्रों की संख्या 23,000 से अधिक है जिनमें ज्यादातर मेडिकल के छात्र हैं. इसके अलावा चीन में कार्यरत ऐसे सैकड़ों पेशेवर भी हैं, जो कोरोना वायरस महामारी को लेकर लागू यात्रा पाबंदियों के चलते भारत में ही रूके हुए हैं. भारतीय दूतावास द्वारा बार-बार अनुरोध किये जाने और छात्रों की अपील के बावजूद चीन ने अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है.
चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ की खबर के मुताबिक इस तरह के नोटिस 20 देशों में स्थित चीनी दूतावासों में लगाए गये हैं. भारत जैसे देशों में चीनी टीके के नियमन के औचित्य के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मंगलवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा को खोलने के लिए टीकाकरण की स्थति पर सूचना साझा करने का विचार प्रकट किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रस्ताव उन लोगों की यात्रा का मार्ग प्रशस्त करना है जिन्होंने चीनी टीके लगवाएं हों, जो सुरक्षा एवं उसकी प्रभाव क्षमता के गहन आकलन के बाद बनाये गए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका संबंध चीनी टीके को मान्यता दिलाने से नहीं है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या बेहतर नहीं होता कि चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंजूर किये गये टीकों को मान्यता देता, झाओ ने कहा, ‘‘चीन का प्रस्ताव एक सार्थक कदम है. हम अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुगम करने की कोशिश कर रहे हैं.’’ डब्ल्यूएचओ ने फाइजर, मॉडरेना और एस्ट्राजेनेका टीकों को मंजूरी दी है.
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