(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Afghanistan News: चीन ने कहा- अफगानिस्तान के तालिबान के साथ 'दोस्ताना रिश्ते' बनाने के लिए हैं तैयार
Afghanistan News: चीन ने कहा कि वो अफगानिस्तान के तालिबान के साथ 'मैत्रीपूर्ण संबंध' विकसित करने के लिए तैयार है. न्यूज़ एजेंसी एएफपी ने इसकी जानकारी दी.
Afghanistan News: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे ने दुनियाभर के अमन पसंद लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. इस बीच चीन ने कहा है कि वो अफगानिस्तान के तालिबान के साथ दोस्ताना रिश्ते के लिए तैयार है. न्यूज़ एजेंसी एएफपी के मुताबिक, चीन का कहना है कि वह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ 'मैत्रीपूर्ण संबंध' विकसित करने को तैयार है.
चीन का ये बयान ऐसे समय में आया है जब ताबिलान जल्द ही अफगानिस्तान में तख्तापलट की घोषणा करेगा. रविवार को तालिबान के एक अधिकारी ने कहा कि विद्रोही संगठन जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा करेगा. 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद, अमेरिका नीत बलों द्वारा अफगानिस्तान से तालिबान को अपदस्थ करने के लिए शुरू किए गए हमलों से पहले भी आतंकी संगठन ने युद्धग्रस्त देश का नाम इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान रखा हुआ था.
China says willing to develop 'friendly relations' with Afghanistan's Taliban: AFP News Agency
— ANI (@ANI) August 16, 2021
इस बीच संकट में घिरे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि वह काबुल छोड़कर इसलिए चले गए ताकि वहां खून-खराबा और ‘बड़ी मानवीय त्रासदी’ न हो. उन्होंने तालिबान से कहा कि वह अपने इरादे बताए और देश पर उसके कब्जे के बाद अपने भविष्य को लेकर अनिश्चय की स्थिति में आए लोगों को भरोसा दिलाए. तालिबान के लड़ाकों ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया. सरकार ने घुटने टेक दिए और राष्ट्रपति गनी देशी और विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर चले गए.
रविवार को अफगानिस्तान छोड़कर जाने के बाद गनी ने पहली बार टिप्पणी की है. इसमें उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पास दो रास्ते थे, पहला तो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे ‘सशस्त्र तालिबान’ का सामना करूं या अपने प्रिय देश को छोड़ दूं जिसकी रक्षा के लिए मैंने अपने जीवन के 20 साल समर्पित कर दिए.’’
गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘यदि असंख्य देशवासी शहीद हो जाएं, अगर वे तबाही का मंजर देखते और काबुल का विनाश देखते तो 60 लाख की आबादी वाले इस शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो सकती थी. तालिबान मे मुझे हटाने के लिए यह सब किया है और वे पूरे काबुल पर और काबुल की जनता पर हमला करने आए हैं. रक्तपात होने से रोकने के लिए मुझे बाहर निकलना ठीक लगा.’’