कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन को पूरे विश्व ने झेला. लॉकडाउन के कारण हर तरफ आर्थिक तंगी हुई. हर देश का वित्तीय ढांचा बुरी तरह से प्रभावित हुआ. छोटे से लेकर बड़े देश तक इसकी चपेट में आए. विकसित देशों में शुमार चीन भी आर्थिक परेशानियों को झेल रहा है. खासतौर से लॉकडाउन ने चीन के शंघाई शहर पर गहरी चोट पहुंचाई है. चीन की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शंघाई शहर में आर्थिक संकट दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. आर्थिक उत्पादन के लिहाज से शंघाई अप्रैल की शुरुआत से लगाए गए लॉकडाउन से काफी प्रभावित हुआ है. 


कोरोना के मामलों में गिरावट को देखते हुए एक जून से शंघाई शहर में लॉकडाउन खत्म कर दिया जाएगा. शहर के अधिकारियों ने कहा कि जूनियर और सीनियर हाई स्कूल के छात्र 6 जून से ऑफलाइन क्लास के लिए स्कूल लौट सकते हैं. वहीं शॉपिंग मॉल और डिपार्टमेंटल स्टोर्स को भी खोलने का फैसला लिया गया है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही शंघाई शहर में आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और लोग दोबारा से खुशहाल जीवन जी पाएंगे. 


शंघाई के सामने आर्थिक संकट


बीजिंग के अधिकारी प्रिमियर ली केकियांग ने बुधवार को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को लेकर एक गंभीर बात बताई. उन्होंने कहा कि साल 2020 के मुकाबले इस बार कुछ पहलुओं में मुश्किलें ज्यादा थी. कई निजी क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि सकल घरेलू उत्पाद अप्रैल-जून में एक साल पहले की तुलना में तिमाही की 4.8 प्रतिशत वृद्धि से अनुबंधित होगा. ली केकियांग ने ऑनलाइन सम्मेलन के माध्यम से देशभर के हजारों सरकारी अधिकारियों से कहा कि चीन दूसरी तिमाही में उचित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि हासिल करने का प्रयास करेगा.  


घरेलू हवाई यातायात भी हुआ प्रभावित


कोरोना के कारण हुई तालाबंदी ने घरेलू हवाई यातायात को भी काफी हद तक प्रभावित किया है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि वह चीनी एयरलाइंस को 21 मई से लेकर 20 जुलाई तक के लिए सब्सिडी की पेशकश करेगा. इससे एयरलाइंस को कोरोना वायरस के कारण हुई मंदी और उच्च तेल की कीमतों का सामना करने में मदद मिलेगी. बता दें कि शंघाई और आसपास के क्षेत्र में लॉकडाउन के कारण घरेलू हवाई यातायात गिर गया है. शंघाई स्थित चाइना ईस्टर्न ने कहा कि 2021 अप्रैल में यात्रियों की संख्या 90.7 प्रतिशत घट गई है. चीन के विमानन नियामक ने गुरुवार को बताया कि बीते अप्रैल में कुल मिलाकर हवाई यात्री यातायात साल-दर-साल लगभग 85 प्रतिशत गिर गया. वहीं कोरोना से पहले 2019 में अपने स्तर का बमुश्किल 15 फीसदी था. 


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