China-Taiwan Conflict: एशिया के दो देशों के बीच तनाव बना हुआ है. ये वो दो देश है चीन (China) और ताइवान (Taiwan). हाल के कुछ महीनों ने दोनों देशों ने एक-दूसरे पर जुबानी हमले किए है. चीन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ताइवान के हवाई सीमा पर फाइटर जेट का प्रदर्शन कर ताइवान को उकसाने का भरपूर कोशिश की है. हालांकि, वो कौन से फैक्टर हो सकते है, जिसके वजह से दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता है. आइए समझते एक्सपर्ट की नजरों से.
काउंसिल ऑफ फॉरन रिलेशन के रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान जिसे आधिकारिक तौर पर चीन गणराज्य (ROC) के रूप में जाना जाता है. ताइवान एक स्ट्रेट संधि के मदद से चीन से साल 1949 में अलग किया गया था. चाइना ताइवान को विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है. इसके खातिर चीन चाहता है कि वो फिर से ताइवान पर अपना कब्जा कर ले. हालांकि, मौजूदा वक्त में ताइवान एक लोकतांत्रिक देश है. वहां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार है. इसकी आबादी 2 करोड़ 35 लाख के करीब है.
साल 2016 के बाद क्रॉस-स्ट्रेट तनाव बढ़ गया
आपको बता दें कि साल 2016 के बाद से ताइवान और चीन के बीत रिश्ते कमजोर हो गए. इसके पीछे की वजह ये है कि 2016 में ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के चुनाव के बाद से क्रॉस-स्ट्रेट तनाव बढ़ गया. त्साई ने उस फार्मूले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है, जिसे उनके पूर्ववर्ती मा यिंग-जेउ ने क्रॉस-स्ट्रेट संबंधों को बढ़ाने की अनुमति देने के लिए समर्थन दिया था.
इस बीच बीजिंग ने तेजी से आक्रामक कार्रवाई की है. उन्होंने ताइवन के पास फाइटर जेट उड़ा दिया. इस पर कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि अगर चीन ताइवान हमला करता है तो उसे अमेरिका से भी दो-दो हाथ करना पड़ सकता है.
चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताएं
अमेरिकी एक्पर्ट की मानें तो चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताएं, क्रॉस-स्ट्रेट संबंधों में गिरावट, संघर्ष को जन्म दे सकती है. इस तरह के संघर्ष से अमेरिका-चीन टकराव की स्थिति पैदा होने की संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन ने ताइवान के खुद में शामिल करने के लिए बल प्रयोग से इनकार नहीं किया है. इस स्थिति में अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका भी ताइवान की रक्षा करने के लिए आगे आएगा.
अमेरिकी रक्षा विभाग ने 2021 की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ताइवान को बल पूर्वक हथियाने की तैयारी कर रहा है. इसी संबंध में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साल 2019 में जोर दिया है कि ताइवान को दोबारा से चीन में शामिल करना उनका सपना है.
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