China Taiwan Crisis News: चीन से तनातनी के माहौल के बीच ताइवान ने कुछ ऐसा किया है जिससे चीन की बौखलाहट बढ़ जाएगी. ताइवान ने गुरुवार (28 सितंबर) को अपनी पहली स्‍वदेशी पनडुब्‍बी से पर्दा हटाया और उसे दुनिया के सामने पेश किया. इस मौके पर ताइवान की राष्‍ट्रपति त्‍साई इंग वेन ने इस पनडुब्‍बी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि यह चीनी सेना के हमले के बढ़ते खतरे के बीच हमें मजबूत और सुरक्षित करेगा.


ताइवान के काओहसिंग शहर में स्थित शिपयार्ड में आयोजित कार्यक्रम में इस सबमरीन यानी पनडुब्बी का अनावरण किया गया. इस डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन का नाम 'नारवॉल' या 'समुद्री राक्षस' रखा गया है. ताइवानी राष्‍ट्रपति इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह पनडुब्बी देश की रक्षा की दिशा में हमारी ठोस प्रतिबद्धता को दिखाती है.


2027 तक बनकर तैयार होगी दूसरी पनडुब्बी 


अपने संबोधन में ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा "अतीत में घरेलू निर्मित पनडुब्बी को असंभव माना जाता था, लेकिन आज हमारे देशवासियों की ओऱ से डिजाइन और निर्मित पनडुब्बी आपके सामने है. यदि सब कुछ ठीक रहा, तो पहली पनडुब्बी 2024 के अंत तक डिलीवरी के लिए तैयार हो जाएगी और दूसरी 2027 तक पूरी करने की योजना है."


ताइवान को क्यों पड़ी इसकी जरूरत?


इस पनडुब्बी का ताइवान के लिए काफी महत्व है. दरअसल, यह चीन की नौसेना से द्वीप और उसके बाहरी क्षेत्रों की रक्षा करने में काफी मदद करेगी. यह पनडुब्बी हमले की स्थिति में चीन की नौसेना को ताइवान को घेरने और द्वीप को बाहरी संसाधनों से काटने से रोक सकती है. ताइवान की सरकार ने बताया कि यह पनडुब्बियां चीन को फर्स्ट आइलैंड चेन, ताइवान, जापान, फिलीपींस और इंडोनेशिया को जोड़ने वाली एक काल्पनिक रक्षा रेखा को बायपास करने से रोक सकती है.


ताइवान की रक्षा रणनीति में कैसे फिट बैठते हैं?


ये पनडुब्बियां ताइवान की युद्ध को रोकने की समग्र रणनीति का हिस्सा हैं. हालांकि इसकी सेना चीन की तुलना में काफी छोटी है, ताइवान का लक्ष्य हमले को जितना संभव हो उतना कठिन बनाना है ताकि इसे सार्थक बनाना बहुत महंगा हो.


ताइवान पर हमला क्यों करना चाहता है चीन?


चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान पर अपने एक प्रांत के रूप में दावा करती है. हालांकि उसने इस पर कभी शासन नहीं किया है, लेकिन वह अपने बल से इसे प्राप्त करने के लगातार कोशिश करता रहा है. कई बार दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात बने हैं. ताइवान के साथ अमेरिका खड़ा होता है जिस वजह से युद्ध टल जाता है.


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