China Taliban Relations: अफगानिस्तान की खदानों पर नजरें गड़ाए हुए है ड्रैगन, स्मार्टफोन्स के लिए काबुल में लिथियम और तांबा खोज रहा बीजिंग
China Taliban Relations: चीन और तालिबान में अब नए तरीके से रिश्ते मजबूत होते दिख रहे हैं. चीन ने अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिए नंगरहार और लघमान में खनिज की तलाश में टीम भेजी है.
China Taliban Relations: चीन को इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी और स्मार्टफोन बनाने के लिए जरूरी खनिजों की जरूरत है. ऐसे में चीन अफगानिस्तान की लिथियम और तांबे की खदानों पर अधिकार जमाने की दिशा में काम कर रहा है. इससे जुड़े चीन का एक्शन देखने को लगातार मिल रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ महीने पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात करने के लिए काबुल का दौरा किया था. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता जमाने के बाद चीन और तालिबान शासन के बीच यह पहली उच्च स्तरीय बैठक थी. इस दौरान वांग यी ने मुत्ताकी को 30 और 31 मार्च को तुन्क्सी, अनहुई में अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की तीसरी बैठक में आमंत्रित किया था.
दुनिया भर में खनिज खोज रहा चीन
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 से ही चीन तालिबान के साथ करीबी संपर्क में है और उसकी लीथियम और तांबे की खदानों पर नजर गड़ाए हुए है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार न केवल अफगानिस्तान बल्कि दुनिया भर में खनिज भंडार की चीन तलाश कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में होने वाली बैठक में उम्मीद है कि "अफगानिस्तान की खदानों में चीनियों के निवेश पर चर्चा के साथ शुरू होगी." यह बात अफगानिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक अहमद मुनीब रासा ने टोलो न्यूज से कही है.
अफगानिस्तान में यहां पर है तांबा भंडार
दुनिया के सबसे बड़े तांबे के भंडार में से एक काबुल के दक्षिण-पूर्व में मेस अयनाक में स्थित है. फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक बीजिंग में बातचीत के दौरान मुत्ताकी और वांग यी के बीच तांबे के भंडार पर भी चर्चा होगी. बताया गया है कि चीन की एक टीम ने तांबा और लीथियम के अलावा अन्य खनिजों के लिए अफगानिस्तान के नंगरहार और लघमान प्रांतों का दौरा किया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन और तालिबान के संबंधों पर नजर डालने पर पता चला है कि चीन लगातार अफगानिस्तान से रिश्ते बनाने में जुटा है. जबसे तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया है तब से चीन ने अपना अभियान तेज कर दिया है. इसके पहले खाड़ी और मध्य पूर्व के मुस्लिम बहुल देशों में चीन की विस्तारवादी मानसिकता का लगातार विरोध होता था.
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