चीन: शी को लंबे समय तक राष्ट्रपति बनाए रखने की तैयारी
पड़ोसी देश चीन में संविधान में बहुत बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. चीन शी जिनपिंग को राष्ट्रपति बनाए रखने के लिए संविधान में भारी बदलाव करने को तैयार है. इन बदलावों के बाद वो अनिश्चितकाल तक राष्ट्रपति बने रहेंगे.
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बीजिंग: पड़ोसी देश चीन ने एक बेहद अप्रत्याशित कदम उठाया है. इस कदम के तहत शी जिनपिंग के 2022 के बाद भी राष्ट्रपति बने रहेंगे. इतना ही नहीं, इस बदलाव के तहत चीन शी को लंबे सयम तक देश का राष्ट्रपति बनाए रखे की तैयारी में है. ये तय किया गया है कि शी को राष्ट्रपति बनाए रखने के लिए इस ऑफिस में तय कार्यकाल की सीमा समाप्त कर दी जाएगी.
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ख़बर दी है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति (सीपीसी) ने देश के संविधान से कुछ बातों को हटाने का प्रस्ताव रखा है. संविधान के तहत अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल दो से ज्यादा बार के नहीं होते हैं. यानी देश में किसी को दो बार ये ज़्यादा इन पदों पर रहने का अधिकार नहीं है. कार्यकाल की सीमा हटाने के प्रस्ताव पर आज होने वाली पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में मुहर लग सकती है.
इससे मॉडर्न चीन के सबसे शक्तिशाली शासक समझे जाने वाले 64 साल के शी को ऐसा कार्यकाल मिलने की संभावना है जो कभी समाप्त नहीं होगा. सत्ता में 1993 से 2003 तक और 2003 से 2013 तक रहे उनके पहले के राष्ट्रपतियों जियांग जेमिन और हू जिंताओ इस सिंगल पार्टी वाले देश में सामूहिक नेतृत्व (collective leadership) को बढ़ावा देने के लिए दो कार्यकाल के नियम का पालन करते हुए पार्टी महासचिव और राष्ट्रपति पद से हट गये थे.
माओत्से तुंग के बाद के शक्तिशाली नेता बन जायेंगे शी
अगर चीन इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ता है तो शी, माओत्से तुंग के बाद के अबतक के सबसे शक्तिशाली नेता बन जायेंगे. माओत्से तुंग का शासन 1976 तक तीन दशकों तक चला था. राष्ट्रपति शी ने पिछले साल सीपीसी की राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद पांच साल के अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है. वो सीपीसी और सेना के भी प्रमुख हैं.
पिछले साल सात सदस्यों का जो नेतृत्व सामने आया था उनमें कोई भी उनका भावी उत्तराधिकारी नहीं बना. ऐसे में इस संभावना को बल मिलता है कि शी का अपने दूसरे कार्यकाल के बाद भी शासन करने का इरादा है. तब से पार्टी के सभी अंगों ने पिछले तीन दशक से चले आ रहे सामूहिक नेतृत्व के सिद्धांत को दरकिनार कर उन्हें पार्टी का सबसे बड़ा नेता घोषित कर दिया है.
सविंधान में शी के नाम से दी जाएगी उनके विचारों को जगह
पार्टी की केंद्रीय समिति ने संविधान में 'शी का राजनीतिक सिद्धांत- नए युग के लिए चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद पर शी चिनफिंग विचार' लिखने का प्रस्ताव रखा है. इससे माओ और उनके उत्तराधिकारी देंग शियोपिंग के बाद शी एकमात्र ऐसे नेता बन जायेंगे जिनके विचार संविधान में लिखे होंगे. ऐसे में वो पार्टी के बाकी नेताओं से बहुत ऊपर हो जायेंगे.
शी 2013 में पार्टी के प्रमुख और राष्ट्रपति चुने गए थे. बाद में उन्होंने सेना के प्रमुख की कमान भी संभाली थी. साल 2016 में सीपीसी ने आधिकारिक रुप से उन्हें ‘प्रमुख’ नेता का खिताब दिया था. वैसे शी के पहले भी जियांग जेमिन और हू जिंताओ के विचार का संविधान में उल्लेख है लेकिन उनके नामों का जिक्र नहीं है. फिलहाल तो शी या उनके विचारों को चुनौती देने की किसी भी कोशिश को पार्टी के खिलाफ जाना माना जाएगा.
शी को लेकर समाप्त हो जाएगी रियाटरमेंट की उम्र सीमा
चीन विषयों के जानकार अमेरिकी विद्वान रॉबर्ट लॉरेंस कुह्न ने कहा था कि संविधान में शी के विचारों को जगह मिलने और उन्हें अहम नेतृत्व का दर्जा मिलने से वो पार्टी में औरों से आगे हो जायेंगे. दो कार्यकाल के शासन के अलावा बाकी के दिग्गज चीनी नेताओं ने 68 साल के बाद रिटायर हो जाने की परिपाटी का भी पालन किया.
‘अहम नेता’ का दर्जा मिलने और संविधान में नाम का ज़िक्र होने के बाद शी पर रिटायर होने की उम्र सीमा लागू होने की संभावना नहीं है. फिलहाल वो 2022 में रिटायर होने वाले हैं. पर्यवेक्षकों (Electrical Supervisors) का कहना है कि अहम नेता के तौर पर शी सीपीसी के महासचिव बने रहेंगे. संविधान में दो कार्यकाल की सीमा हटाने से जुड़े संशोधन (amendment) से उनके लिए बतौर राष्ट्रपति 2022 के बाद तीसरे कार्यकाल की आखिरी बाधा भी दूर हो जाएगी.
आज से शुरू हो रहा है पूर्ण अधिवेशन, बदलावों की है संभावना
आज से शुरु हो रहे पूर्ण अधिवेशन (Plenary Session) से सरकार में टॉप लीडरशिप में बदलाव की संभावना है क्योंकि शक्तिशाली पदों पर पर शी के समर्थकों के आने की गुजाइंश है. बीते रविवार को शी की अध्यक्षता में सीपीसी की केंद्रीय समिति ने प्रदेश नेतृत्व पदों (regional leadership posts) के लिए सामने रखे गए उम्मीदवारों की लिस्ट पर चर्चा की थी.
इन नामों को मंजूरी के लिए इन्हें चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के पास भेजा जाएगा जिसका सालाना सेशन पांच मार्च को शुरू होगा. शिन्हुआ ने नामों का ब्योरा नहीं दिया. सीपीसी के प्रस्तावों को नियमित रूप से मंजूरी देने को लेकर अक्सर रबर स्टैंप संसद कहे जाने वाली एनपीसी, चाईनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसलटेटिव कांफ्रेंस के साथ अपना सेशन करती है.
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