भारत-भूटान बॉर्डर से सटे एरिया के इस गांव को ड्रैगन ने बनाया 'शहर', जानें क्या है 1962 के युद्ध से ताल्लुक
India-China Border: चाइना भारत से सटे सीमा क्षेत्रों से सटे गांवों को अपग्रेड करने का काम कर रहा है. 1962 की भारत-चीन लड़ाई में प्रमुख युद्ध क्षेत्र रहे लेबुगौ को सिटी में तब्दील किया है.
India-China Border Dispute: चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. बीजिंग ने भारत-भूटान बॉर्डर से सटे तिब्बत के एक गांव लेबुगौ को अपग्रेड करने का काम किया है. गांव को तमाम सुविधाओं से लैस कर शहर में तब्दील करके ड्रैगन ने दुनिया को एक बार फिर अपनी ओर आकर्षित किया है. चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स की ओर से हाल ही में इस शहर की एक तस्वीर भी जारी की गई.
रिपोर्ट के मुताबिक यह शहर इस लिहाज से भी खास रणनीतिक महत्व रखता है कि 1962 के युद्ध के दौरान चर्चा में आया था. लेबुगौ गांव कोना सिटी के पश्चिम में भूटान और दक्षिण में भारत की सीमा से लगा हुआ है. इस गांव की महत्ता उस वक्त इसलिए ज्यादा थी क्योंकि यहां पर ही चाइना मिलिट्री ने बड़ी संख्या में सेना के यूनिट तैनात की थीं. 1962 के भारत-चीन लड़ाई में लेबुगौ चीनी हमले का एक प्रमुख युद्ध क्षेत्र रहा था. यह कोना के दक्षिण में स्थित एक जगह है.
बॉर्डर एरिया में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की कुचाल
चाइना ने इस गांव के अपग्रेडेशन को कुछ इस तरह से दर्शाया है कि लोग इसके प्रति ज्यादा आकर्षित हो सकें. तस्वीर में एक लाइन में बनीं कई इमारतों को दिखाने की कोशिश की गई है. इसके जरिए ड्रैगन यह दिखाना चाहता है कि वो ग्रामीण इलाकों का पुनरोद्धार कर रहा है लेकिन हकीकत में बॉर्डर एरिया में उसकी बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की एक कुचाल है. इससे वह दुनिया के अपने प्रतिद्वंदियों को दिखाना चाहता है कि बॉर्डर एरिया के इलाकों में वो उनसे ज्यादा ताकतवर है.
गांव को तिब्बत के मुख्य बिजली ग्रिड से जोड़ा
रिपोर्ट की माने तो लेबुगौ में बने नए शहर में अस्पताल, स्कूल, किंडरगार्टन और अन्य बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स डेवल्प किए गए हैं. इसके पीछे खास मकसद लोगों को बॉर्डर एरिया में बसने के लिए प्रेरित करना है. इतना ही नहीं लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए चीन ने इस गांव को तिब्बत के मुख्य बिजली ग्रिड से भी जोड़ दिया है जिससे कि लोगों को बिजली की समस्या से ना जूझना पड़े.
बच्चों को पढ़ाने के लिए अच्छे स्कूल व सब्सिडी मुहैया करवाई
ड्रैगन वहां इलाके में लोगों को मोबाइल फोन सिग्नलिंग की सुविधा भी दे रहा है. लोगों का दावा है कि उनको दूर दराज के जंगलों में भी मोबाइल फोन सिग्नल मिल रहा है. सरकार की ओर से बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छे स्कूल उपलब्ध कराने से लेकर उनको सब्सिडी तक मुहैया करवा रही है.
अपग्रेडेड सिटी में करीब 15 हजार की आबादी
रिपोर्ट के अनुसार, लेबुगौ में करीब 15 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. लेबुगौ में मोनपा जातीय समूह के लोग रहते हैं. चीन में एक पार्टी की सरकार होने की वजह से लेबुगौ में भी चीनी पीपुल्स कांग्रेस का ही कब्जा है. अभी तक तिब्बत सैन्य कमांड के तत्कालीन कमांडर जनरल झांग गुओहुआ की फ्रंटलाइन कमांड पोस्ट की साइट भी यहां संरक्षित है. साल 2020 में गलवान झड़प के बाद भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनातनी बनी. इसके बाद चाइना ने इस जगह को राष्ट्रीय 'रेड टूरिज्म' मार्ग में शामिल किया था ताकि चीनी लोगों में देशभक्ति की भावना का संचार हो सके.
इलाकों को कर देते हैं चीनी लाल झंडे के रंग में पेंट
ग्लोबल टाइम्स से बातचीत के दौरान स्थानीय चीनी पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष केलज़ैंग तेनज़िन (52) ने स्वीकार किया कि बॉर्डर पर बाड़बंदी नहीं होने की वजह से वो सीमा एरिया में घुसपैठ करते हैं. साथ ही इलाकों को जबर्दस्ती चीनी लाल झंडे के रंग में पेंट कर देते हैं. केलज़ैंग ले मोनपा जातीय टाउनशिप पार्टी समिति के उप सचिव भी हैं.