China Sinicization of Religion: दुनिया में आबादी के लिहाज से दूसरे सबसे बड़े देश चीन (China) में मुसलमानों (Muslims) पर इतनी बंदिशें थोपी गई हैं, कि न केवल वे अपने रीति-रिवाजों से वंचित हो रहे हैं, बल्कि उनका वहां नमाज पढ़ना भी मुश्किल हो गया है. चीन की आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है, लेकिन वहां हिंदू (Hindu), मुस्लिम या जैन (Jain) अनुयायियों की तादाद बेहद कम है. वहां अधिकतर लोग नास्तिक हैं, और फिर दूसरे नंबर पर बौद्ध (Buddhism) धर्म के अनुयायी हैं.
अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने चीन में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन और उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई है, लेकिन कोई इस्लामिक मुल्क चीन के मुखालिफत नहीं करता. चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगुवाई वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) सत्ता में है, और वो इस्लाम का चीनीकरण (Sinicization) करने में जुटी है.
शी के चीनीकरण की भेंट चढ़ीं इस्लामिक परंपराएं
चीनीकरण (Sinicization) से तात्पर्य है- लोगों का चीनी अंदाज में जीना. चीनीकरण के दायरे में खासकर, चीन में रहने वाले मुसलमान हैं, इसीलिए वहां मस्जिदों से गुबंद और मीनारें हटाई जा रही हैं. कुछ शहरों में तो मस्जिदों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है. पिछले कुछ सालों में 16 हजार मस्जिदों के ढांचे में या तो बदलाव किया गया, या उनमें से कई को गिरा दिया गया. जिनपिंग सरकार का मानना है कि देश की हर चीज पर चाइनीज-स्टाइल, यानी कि चीन की छाप होनी चाहिए. अंग्रेजी में इसे ही सिनिसाइजेशन कहा गया है.
नियम- हर मजहब के लोग केवल चीनी बनकर रहें
चीन में चीनीकरण की शुरुआत शी जिनपिंग के सत्ता में आने के समय से हुई. वर्ष 2018 में शी जिनपिंग ने बतौर राष्ट्रपति एक स्पीच दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था- हम चाहते हैं कि देश में रहने वाले हर मजहब के लोग चीन से खुद को जुड़ा महसूस करें, इसके लिए उन्हें चीनी प्रतीकों और तरीकों को अपनाना होगा. इसी के बाद, इस्लाम का भी चीनीकरण (सिनिसाइजेशन) शुरू हो गया. एक दशक पहले तक चीन में उइगरों पर अत्याचार की इतनी खबरें नहीं आती थीं, लेकिन जिनपिंग सरकार में उन पर खूब जुल्म हुए हैं.
न बुर्का, न हिजाब, कपड़े चीनी स्टाइल वाले पहनने होंगे
पश्चिमी देशों की मीडिया में चीन के 'सिनिसाइजेशन' का बखूबी उल्लेख किया गया है. 'सिनिसाइजेशन' के तहत चीन में मुसलमानों से कहा जा रहा है कि वे अपनी मस्जिदों या मदरसों को बिल्कुल चीनी स्टाइल में बनवाएं. उन्हें अरब देशों के मुसलमानों की तरह नहीं, बल्कि चीनी बनकर ही देश में रहना होगा. वही भाषा बोलनी होगी. यहां तक कि कपड़े भी ऐसे पहनने होंगे, जो चीन से बाहर के न लगते हों. उन पर इस्लाम का सिंबल न हो.
शिंगजियांग प्रांत में हो रहा सबसे ज्यादा जुल्म
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुसलमानों पर सबसे ज्यादा जुल्म चीन के शिंगजियांग प्रांत में होते हैं. शिंगजियांग वो प्रांत है, जहां मुस्लिमों की तादाद अन्य प्रांतों की तुलना में अधिक है. चीन में मुस्लिमों के दो प्रमुख पंथ हैं- एक उइगर मुस्लिम और दूसरे हुई मुसलमान. ये चीन के तीसरे और चौथे नंबर की एथनिक माइनोरिटी हैं. इनके अलावा भी मुस्लिमों के कुछ और पंथ भी हैं, लेकिन सभी तरह के मुस्लिमों की आबादी 3 करोड़ भी नहीं है.
142 करोड़ आबादी में मुस्लिम केवल 2.6 करोड़
न्यूज मीडिया रेडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में मुसलमानों की कुल आबादी 2.6 करोड़ है. अगर, इसे चीन की कुल आबादी 142 करोड़ से आंकें तो यह संख्या बेहद कम रह जाती है. इसके बावजूद वहां चीनी सरकार ने पांच सालों का एक ऐसा प्रोग्राम लॉन्च किया, जिससे इस्लाम का सिनिसाइजेशन हो जाए. यानी इस मजहब को मानने वाले अपनी मजहबी पहचान को छोड़ दें, जैसे लंबी दाढ़ी रखना, अलग कपड़े पहनना, या मस्जिदों में बार-बार जाना. अकेले शिंगजियांग प्रांत में 10 लाख से ज्यादा मुस्लिमों को डिटेंशन कैंप में रखा गया है.
2014 में 38 हजार मस्जिदें थीं, तेजी से घटी संख्या
अब चीन में जो मस्जिदें नजर आती हैं, वो ऐसी नहीं होतीं जैसी कि भारत-पाकिस्तान में हैं, बल्कि चीन की मस्जिदें चीन के पुरातन काल जैसे ढांचे में तैयार कराई जा रही हैं. ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) के डेटा के मुताबिक, साल 2014 में चीन में लगभग 38 हजार मस्जिदें थीं. उसके कुछ साल बाद वहां इनकी संख्या में काफी गिरावट आ गई. बताया जाता है कि वहां 16 हजार मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया गया. और, लगभग साढ़े 8 हजार मस्जिदों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया.
कोई इस्लामिक देश नहीं टोकता, पाक भी दे चुका क्लीनचिट
हैरानी की बात यह है कि चीन में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर कोई भी इस्लामिक मुल्क चीन के खिलाफ खड़ा नजर नहीं आता. यहां तक कि कट्टर इस्लामिक कानून-कायदे वाला पाकिस्तान, उलटे चीन का पक्ष लेता है. लाखों उइगर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों के बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने चीन को इस मामले में क्लीनचिट दे दी. 2021 में चीनी मीडिया CGTN को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा था- 'पश्चिमी देशों की मीडिया चीन के खिलाफ नफरत भरा माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. यहां मुस्लिमों पर अत्याचार नहीं होते. हम चीन को समर्थन देते रहेंगे.'
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