Vivo Money Laundering Case: प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने पिछले हफ्ते चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो (Vivo) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में वीवो-इंडिया के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. इस गिरफ्तारी के बाद चीन ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है. चीन ने सोमवार (25 दिसंबर) को कहा कि वह वीवो के भारत में गिरफ्तार कर्मचारियों को कॉन्सुलर एक्सेस (Consular Access) मुहैया कराएगा. कॉन्सुलर एक्सेस वाणिज्य दूतावास (Consulate) के तहत भेजी जाने वाली सहायता को कहते हैं.


चीन ने कहा है कि वह चीनी कंपनियों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हर संभव मदद करेगा. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग (Mao Ning) ने कहा कि चीन इस मुद्दे पर करीब से नजर रखे हुए है. उन्होंने कहा,"भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावास कानून के मुताबित संबंधित व्यक्तियों को सुरक्षा और सहायता मुहैया कराएगा."  


उन्होंने कहा, "चीन सरकार चीनी कंपनियों के उनके जायज अधिकारों और हितों की रक्षा का समर्थन करती है. हमें उम्मीद है कि भारत देशों के बीच व्यापार सहयोग को समझेगा और निष्पक्ष, न्यायसंगत, पारदर्शी तथा गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार का माहौल देगा."


क्या है आरोप?


ईडी ने वीवो पर लगे मनी लॉन्ड्रिंग केस की चार्जशीट में कहा है कि कंपनी ने साल 2014 से 2021 तक शेल कंपनियों के जरिए 1 लाख करोड़ रुपये कालाधन विदेशों में भेजा है.


कौन-कौन हुए गिरफ्तार?


वीवो-इंडिया के अंतरिम मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) होंग जुक्वान उर्फ ​​टेरी, मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल को मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है. ईडी ने पहले इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी की थी. इनमें मोबाइल कंपनी लावा इंटरनेशनल (Lava International) के प्रबंध निदेशक हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग तथा राजन मलिक शामिल थे. वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.


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