चीन बुलेट ट्रेन की स्पीड से परमाणु बमों का जखीरा बढ़ा रहा है. 2030 तक वह अपने परमाणु खजाने को दोगुना कर लेगा. ताइवानी एक्सपर्ट ने ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया है कि अमेरिका के परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण को देखते हुए चीन अपनी न्यूक्लियर पावर को बढ़ाने में जुटा है. मेनलैंड अफेयर्स काउंसिल में छपी रिपोर्ट में बताया गया कि मई तक चीन के पास 500 न्यूक्लियर बम थे, जिसे शी जिनपिंग 1000 तक ले जाने में लगे हैं. 5 साल में 1825 दिन और 43,800 घंटे होते हैं तो इस हिसाब से एक परमाणु बम बनाने में उसे करीब 87 घंटे या साढ़े तीन दिन का समय लगेगा.


ताइपे टाइम्स के अनुसार ताइवान की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में चाइनीज मिलिट्री स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर तुंग हुइ-मिंग ने कहा कि चीन इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM), न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक सबमरीन, H-20 बॉम्बर और परमाणु हमलों के लिए एडवांस्ड वेपन सिस्टम तैयार कर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन के पास पहले से DF-41 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जो साइलो, रोड व्हीकल्स और रेलकार से लॉन्च की जा सकती है. इस फ्लेक्सिबल और भरोसेमंद सिस्टम की वजह से यह चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की बैकबोन है. आईसीबीएम मिसाइल की रेंज 5,500 किमी तक होती है यानी वह 3,400 मील दूर से भी टारगेट पर हमला कर सकती है.


पिछले साल अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भी ऐसी ही रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया कि चीन 2030 तक अपनी न्यूक्लियर पावर को दोगुना कर लेगा. उसके 2021 में 400 न्यूक्लियर हथियार थे, अभी 500 ऑपरेशनल परमाणु बम हैं और 2030 तक यह आंकड़ा 1000 तक पहुंच जाएगा. हालांकि, अमेरिका और रूस के सामने फिर भी उसकी परमाणु शक्ति काफी कम ही होगी. स्टॉकहॉम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार रूस परमाणु हथियारों के मामले में टॉप पर है, उसके पास 5,889 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं, जबकि अमेरिका के पास 5,244 हैं.


पेंटागन के एक अधिकारी ने यह भी कहा था कि बीजिंग ने 2022 में तीन नए मिसाइल साइटों का निर्माण किया था, जहां 300 नए आईसीबीएम साइलो बनाए गए. अमेरिका ने रिपोर्ट में इस बात का भी खतरा जताया था कि पीएलए आईसीबीएम बनाने पर काम कर रही है ताकि वह अलास्का और हवाई में लक्ष्यों के खिलाफ हमले कर सकता है.  इस अमेरिकी रिपोर्ट पर चीन ने कहा था कि यह पूर्वाग्रहों पर आधारित है और चीन को एक खतरे के तौर पर दिखाने की कोशिश है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन हमेशा अपनी न्यूक्लियर पावर को सिर्फ उसी लेवल तक सीमित रखता है, जितनी नेशनल सिक्योरिटी के लिए जरूरी है. हमारा किसी देश के साथ परमाणु हथियारों की रेस में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है.


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