China Accused US of Endangering Peace: ताइवान को लेकर पर चीन और अमेरिका के बीच मतभेद बरकरार है. दोनों देश इसपर अक्सर प्रतिक्रिया देते रहे हैं. इस बीच सोमवार (27 फरवरी) को ताइवान (Taiwan) से अमेरिकी सैन्य विमान (US Military Plane) ने उड़ान भरी तो चीन बौखला गया. चीन (China) ने आरोप लगाया है कि अमेरिका (America) ने ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को खतरे में डाला है. 


वहीं, अमेरिकी नौसेना (US Navy) के 7वें बेड़े ने चीन के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा है कि विमान ने अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में उड़ान भरी थी.


ताइवान के मसले पर बौखलाया चीन
 
यूएस सैन्य विमान के सोमवार को संवेदनशील जलमार्ग से उड़ान भरने के बाद चीन ने अमेरिका पर ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को खतरे में डालने का आरोप लगाया. चीन का कहना है कि अमेरिकी सैन्य मिशन ने बीजिंग को उकसाया है. अमेरिका वॉरशिप या एयरक्राफ्ट के जरिए अक्सर विवाद बढ़ाने वाली हरकतें करता रहा है. चीन का कहना है कि इस जलमार्ग पर उसका अधिकार क्षेत्र है. 


अमेरिकी विमान की निगरानी


चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने कहा कि उसके बलों ने P-8A Poseidon समुद्री गश्ती और टोही विमान की बारीकी से निगरानी की. जिसका उपयोग पनडुब्बी रोधी मिशनों के लिए भी किया जाता है. यह जलडमरूमध्य चीन को ताइवान से अलग करता है. एक बयान कहा गया, "अमेरिकी पक्ष ने जानबूझकर हस्तक्षेप किया और क्षेत्रीय स्थिति को बाधित किया''. 


चीन ने किया विरोध


चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने आगे कहा कि हम इसका दृढ़ता से विरोध करते हैं. हमारे सुरक्षाबल हर समय हाई अलर्ट पर रहते हैं और दृढ़ता से राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करते हैं" वहीं, ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि विमान जलडमरूमध्य से दक्षिण दिशा में उड़ा था. ताइवान की सेना ने विमान को ट्रैक किया था.


अमेरिकी नौसेना ने क्या कहा?


अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े ने कहा कि विमान ने इंटरनेशनल एयरस्पेस में उड़ान भरी थी. अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक अमेरिका ताइवान स्ट्रेट के भीतर कहीं भी उड़ान भरना, नौकायन करना और ऑपरेट करना जारी रखेगा. अमेरिका सभी देशों के नौवहन संबंधी अधिकारों (Navigational Rights) और स्वतंत्रता को बनाए रखता है.


ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है चीन


चीन अक्सर ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है. चीन ने पिछले करीब तीन सालों में आईलैंड के पास अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा दी है क्योंकि वो ताइवान को बीजिंग की संप्रभुता को स्वीकार करने के लिए मजबूर करना चाहता है. वहीं, ताइवान की सरकार का कहना है कि सिर्फ द्वीप के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं और वह धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे.


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