China Spots Unidentified Flying Object: दुनियाभर में चाइनीज जासूसी गुब्बारे को लेकर बहस हो रही है. इस बीच खुद चीन ने दावा किया है कि उसके हवाई क्षेत्र में भी फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (Flying Object) दिखा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये फ्लाइंग ऑब्जेक्ट क्विंगदाओ (Qingdao) शहर के समुद्री इलाके के ऊपर नजर आया है. इस पर कड़ी नजर रखी जा रही है. शी जिनपिंग प्रशासन इसे मार गिराने की तैयारी में है.


मरीन डेवलपमेंट अथॉरिटी के एक अधिकारी ने बताया कि वह इस अज्ञात फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (Unidentified Flying Object) को मार गिराने की तैयारी कर रहे हैं. 


चीन के आसमान में भी दिखा फ्लाइंग ऑब्जेक्ट


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके में मछुआरों को सुरक्षा के प्रति सावधान रहने के लिए कहा गया है. क्विंगदाओ में समुद्री विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा कि फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को नीचे गिराने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले अमेरिका और कनाडा के आसमान में यूएएफओ दिखने के 4 मामले सामने आ चुके हैं. अमेरिकी सेना के फाइटर जेट ने हूरोन झील (Lake Huron) के ऊपर 12 फरवरी को एक बार फिर एक फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को मार गिराने का दावा किया है. 


अमेरिका ने फिर मार गिराया फ्लाइंग ऑब्जेक्ट


यूएस-कनाडाई सीमा पर हूरोन झील के ऊपर फ्लाइंग ऑब्जेक्ट देखा गया था. अमेरिकी सेना के लड़ाकू विमान ने हूरोन झील (Lake Huron) पर उस फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को मार गिराया. अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सेना को इसे शूट करने का आदेश दिया, जिसके बाद एक F16 फाइटर जेट से इसे मार गिराया गया.


कनाडा ने भी गिराया था फ्लाइंग ऑब्जेक्ट


वहीं कनाडा ने भी अपने हवाई क्षेत्र में दिखे फ्लाइंड ऑब्जेक्ट को मार गिराया गया था. पीएम ट्रूडो ने शनिवार (11 फरवरी) को ट्विटर के जरिए खुलासा करते हुए कहा था कि उनके आदेश पर कनाडा के हवाई क्षेत्र में एक अमेरिकी फाइटर जेट के जरिए अज्ञात फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (Unidentified Object) को मार गिराया गया था. ट्रूडो ने यह भी कहा था कि उन्होंने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात भी की थी.


चाइनीज बैलून को अमेरिका ने किया ढेर


पिछले हफ्ते 4 फरवरी को अमेरिकी सैन्य लड़ाकू विमानों ने एक संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे (Chinese Spy Balloon) को मार गिराया था, जो कुछ दिनों से उसके आसमान में उड़ रहा था. अमेरिका का आरोप था कि बैलून के जरिए खुफिया जानकारी इकट्ठा की जा रही थी. वहीं, चीन ने इसे सिविलि बैलून बताया था और कहा था कि ये सिर्फ मौसम संबंधित अनुसंधान कार्य के लिए था.


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