(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अफगानिस्तान की धरती में छिपे बेशकीमती खजाने पर ड्रैगन की नजर, तालिबान के साथ ऑयल डील के क्या हैं मायने?
Afghanistan News: अफगानिस्तान में भारी मात्रा में तेल (Oil) के अलावा 1-3 ट्रिलियन डॉलर कीमत की दुर्लभ खनिज (Rare Minerals) होने की संभावना है. तालिबान शासन को उम्मीद है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
China Oil Deal With Taliban: अफगानिस्तान में तालिबान शासन के कई महीने बीत जाने के बाद भी आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी है. देश में गरीबी और भूखमरी की स्थिति अभी भी बरकरार है. इस बीच ड्रैगन की अफगानिस्तान (Afghanistan) के खजाने पर पैनी नजर है. तालिबान (Taliban) के कब्जे और अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद चीन (China) अब अफगानिस्तान की धरती में छिपे खजाने पर नजर गड़ाए हुए है.
चीन को तालिबान के साथ अपने नए समझौते के जरिए देश के समृद्ध खजाने (Rare Earth Element) का फायदा उठाने का एक बड़ा मौका मिला है. इस डील से वो दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में अपना दबदबा और बढ़ा सकता है.
अफगानिस्तान पर ड्रैगन की नजर
अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने नॉर्दर्न अमु दरिया बेसिन (Northern Amu Darya Basin) से तेल निकालने के लिए चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय करार किया. चीनी झिंजियांग सेंट्रल एशिया पेट्रोलियम एंड गैस कंपनी (CAPEIC) ने तालिबान के नेतृत्व वाले शासन के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए. तालिबान के खनन और पेट्रोलियम विभाग के कार्यवाहक मंत्री शेख शहाबुद्दीन दिलावर ने 5 जनवरी 2023 को उस सौदे की घोषणा की थी, जिसमें चाइनीज कंपनी अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से में स्थित अमु दरिया बेसिन से तेल निकालेगी.
अफगानिस्तान को क्या होगा फायदा?
तालिबान शासन के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने ट्वीट में कहा था, ''कंपनी एक साल में 150 मिलियन डॉलर और अगले तीन सालों में 540 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी. उन्होंने बताया कि ये परियोजना करीब 3000 अफगान लोगों को रोजगार देगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और विकास को बढ़ावा मिलेगा. 25 साल के इस अनुबंध से तालिबानी शासन को 15 फीसदी रॉयल्टी फीस मिलेगी. पांच ब्लॉकों में 87 मिलियन बैरल कच्चे तेल का अनुमान लगाया गया है
अफगानिस्तान के खजाने पर ड्रैगन की नजर
अफगानिस्तान में भारी मात्रा में तेल के अलावा 1-3 ट्रिलियन डॉलर कीमत की दुर्लभ खनिज होने की संभावना है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में एल्यूमीनियम, सोना, चांदी, जस्ता, पारा और लिथियम के अलावा दुर्लभ पृथ्वी खनिज जैसे लैंथेनम, सेरियम और नियोडिमियम होने का अनुमान है. चीन देश में बड़ी प्रतिस्पर्धा के अभाव में इन दुर्लभ खजानों को निकालने के लिए अवसर का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है.
दुर्लभ खनिजों पर चीन का और बढ़ेगा दबदबा?
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेयर अर्थ एलिमेंट के वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा है. माना जाता है कि चीन दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक और आपूर्तिकर्ता है. इन दुर्लभ खनिजों का इस्तेमाल तकनीकी उद्योगों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस और नवीकरणीय ऊर्जा में किया जाता है. हालांकि, चीन इन खनिजों के लिए वैश्विक बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना भी कर रहा है. ऐसे में अफगानिस्तान का खजाना उसके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
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