बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच नवंबर में होने वाली मुलाकात से पहले चीन बेनकाब हो गया है. एक तरफ जहां वह भारत के साथ संबंध बेहतर करने की बात कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल करने पर वह अब भी अपने पुराने रूख पर कयम है.
चीन ने मंगलवार को साफ कर दिया कि संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में मसूद अज़हर को शामिल करने के भारत के अनुरोध पर उसके रूख में कोई बदलाव नहीं आया है. चीन ने कहा कि वह इस मामले में गुण-दोष के आधार पर फैसला करेगा.
चीन ने उल्फा नेता परेश बरूआ को शरण देने के आरोप से भी इनकार किया और कहा कि वह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप की नीति पर अमल करता है. नई दिल्ली में आयोजित भारत-चीन द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर पहली उच्च स्तरीय बैठक में भारत ने सोमवार को चीन से संयुक्त राष्ट्र में अज़हर को वैश्चिक आतंकी के तौर पर नामित करने के लंबित पड़े आवेदन का समर्थन करने को कहा था.
इस बैठक की सह अध्यक्षता गृह मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के स्टेट काउंसलर और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री झाओ केझी ने की. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन स्थायी सदस्य है और इसके पास वीटो की ताकत है. चीन ने बार-बार संयुक्त राष्ट्र में अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने की भारत की कोशिश बाधित की है.
भारत के अनुरोध के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग से जब टिप्पणी करने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत केा ब्यारा देखना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘मसूद (अज़हर) को सूची में शामिल करने के भारत के अनुरोध पर हम पहले ही कई बार अपना रूख बता चुके हैं.’’
चुनइंग ने आगे कहा, ‘‘आतंकवाद निरोध के मुद्दे पर चीन हमेशा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी अभियानों में सक्रियतापूर्वक हिस्सा लेता रहा है. हमने हमेशा अपने फैसले मामले के गुण दोष के आधार पर किए हैं. हम क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए पक्षों के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाना जारी रखेंगे.’’ अज़हर भारत में कई घातक आतंकवादी हमलों का आरोपी है. इनमें 2016 में कश्मीर के उरी सैन्य शिविर पर हुआ हमला भी शामिल है जिसमें 17 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई थी.