नई दिल्ली: चीन अपनी चालबाजी से दुनिया के गरीब देशों को फंसा रहा है. वो अपने प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) की आड़ में उनको अरबों रुपए का कर्ज दे रहा है. जानकारों की मानें तो इससे वे देश गंभीर वित्तीय संकट में फंस सकते हैं.
इन देशों में किया है काफी निवेश
चीन बीआरआई के जरिए श्रीलंका, जाम्बिया, लाओस, मालदीव, कांगो गणराज्य, टोंगा, पाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे कई देशों को अरबों रुपए का कर्ज दे चुका है. चीन ने इस प्रोजेक्ट के सहारे इन देशों में काफी निवेश किया है.
चीन इन देशों को ऐसे दे रहा धोखा
दरअसल, चालबाज चीन ने इन देशों को विकास के बड़े-बड़े सपने दिखाए हैं. उसने कहा कि इस प्रोजेक्ट के जरिए कि उनके बुनियादा ढांचे में सुधार आएगा, जो उन्हें आर्थिक विकास में मदद करेगा.
अरबों डॉलर का हो चुका है प्रोजेक्ट
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा नियंत्रण में किए जाने के बाद ही बीआरआई प्रोजेक्ट में बंदरगाहों, सड़कों, रेलवे, हवाईअड्डों और बिजली संयंत्रों के विकास को शामिल किया गया था. इसके बाद यह प्रोजेक्ट सैकड़ों अरबों डॉलर का हो गया है.
70 देशों में फैल चुका है प्रोजेक्ट
पिछले 7 साल में चीन ने इस प्रोजेक्ट ने 70 से ज्यादा देशों में अपना काम फैलाया है. श्रीलंका ने अपने हंबनटोटा पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी को 99 साल के लिए चीन को लीज पर देने के बाद कर्ज में डूबे कई देशों पर चिंता के बादल घिर आए हैं.
किन देशों पर कितना कर्ज?
ऐसे देशों की सूची खासी लंबी है. मालदीव पर चीन का लगभग 1.4 अरब डॉलर बकाया है. मालदीव के लिए कर्ज बहुत बड़ा है, क्योंकि उसकी जीडीपी ही 5.7 बिलियन डॉलर की है. वहीं जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में चाइना अफ्रीका इनीशिएटिव के एक अध्ययन के मुताबिक चीन का जाम्बिया पर कुल ऋण 2017 के अंत में लगभग 6.4 बिलियन डॉलर था.
सीएचआर माइकलसन इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट में कहा, "अगर यह आंकड़ा सही है, तो जाम्बिया पर कुल 14.7 बिलियन डॉलर (राज्य गारंटेड लोन सहित) का कर्ज हो सकता है, जिसमें चीनी लोन 44 फीसदी का है." उधर, पाकिस्तान की हालत भी खराब है. वहां बीआरआई के अलावा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी चल रहा है.
क्या कहते हैं जानकार?
ईवाय के मुख्य आर्थिक सलाहकार डी.के. श्रीवास्तव का कहना है कि "चीन आक्रामक रूप से उधार दे रहा है, वो भी खासकर गरीब देशों को. यह उन देशों के लिए अधिक समस्याएं और चुनौतियां पैदा करता है जो बीआरआई में शामिल हैं."
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन कहते हैं कि, "जब हम गहराई से विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि चीन द्वारा चलाए जा रहे सभी प्रोजेक्ट्स चीन पर ही केंद्रित हैं. ये कंपनियां आमतौर पर चीनी सरकार के स्वामित्व में हैं."