काठमांडू: प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर इस्तीफे के लिए बढ़ रहे दबाव के बीच चीन की राजदूत होउ यांकी ने उन्हें बचाने के लिए सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ मंगलवार को संवाद तेज कर दिया.


होउ ने 48 घंटे के अंदर पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झल नाथ खनाल से भेंट की. दरअसल संकट में फंसे प्रधानमंत्री ओली और सत्तारूढ़ दल के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की अगुवाई वाले गुट के बीच सत्ता साझेदारी पर लगातार बातचीत चल रही है.


अपने चीन समर्थक रूझान को लेकर चर्चित ओली की राजनीतिक तकदीर का फैसला बुधवार को सत्तारूढ़ पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में होगा.


मंगलवार को खनाल के साथ पौने घंटे की भेंट के दौरान होउ ने सत्तारूढ़ दल में सामने आये विवाद पर चिंता जतायी और मतभेदों को सुलझाने का सुझाव दिया.


रविवार को चीनी राजदूत ने वरिष्ठ एनसीपी नेता माधव कुमार नेपाल से मुलाकात की थी और वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की थी. उन्होंने उसी दिन राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की थी.


नेपाल और खनाल के करीबियों ने बताया कि इन दोनों नेताओं ने देश की नवीनतम राजनीतिक स्थिति पर चीनी राजदूत के साथ चर्चा की. उन्होने उसका ब्योरा नहीं दिया.


कई नेताओें ने चीन की राजदूत की सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ इतनी सारी बैठकें करने को नेपाल के अंदरूनी राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है.


पूर्व विदेश मंत्री एवं राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने ट्वीट किया, ‘‘ क्या रिमोट कंट्रोल से संचालित लोकतांत्रिक गणराज्य से नेपाल के लोग लाभान्वित होंगे?’’


यह पहली बार नहीं है कि चीनी राजदूत ने संकट के समय नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप किया है. करीब डेढ़ महीने पहले जब एनसीपी की अंदरूनी कलह शीर्ष पर पहुंच गयी थी तब होउ ने राष्ट्रपति भंडारी, प्रधानमंत्री ओली तथा एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड एवं माधव नेपाल से अलग अलग बैठकें की थी.


इस बीच ओली और प्रचंड ने बुधवार को होने वाली पार्टी की स्थायी समिति की बैठक से पहले मतभेदों को सुलझाने के लिए बालूवतार में प्रधानमंत्री निवास पर एक और दौर की बातचीत की .


स्थायी समिति की बैठक तीन बार स्थगित की जा चुकी है. प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला.


एनसीपी में ओली और प्रचंड गुटों के बीच मनमुटाव तब और तेज हो गया जब प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को संसद का बजट सत्र स्थगित करने का एकतरफा निर्णय लिया.


प्रचंड गुट प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफे की मांग कर रहा है. इस गुट ने उनसे प्रधानमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष दोनों ही पदों से इस्तीफा मांगा है लेकिन ओली कोई भी पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं.


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