Chinese Arms Behind African Countries Conflict: अफ्रीकी देशों में चीन के हथियारों की बिक्री (Chinese Arms Sale) से वहां के लोगों की जिंदगी प्रभावित हो रही है. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अफ्रीकी देशों में चीनी हथियारों की बिक्री से संघर्ष (Conflict) बढ़ रहा है और लोग घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं.
इनसाइड ओवर की रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र के साथ लगभग सभी देश छोटे और बड़े सशस्त्र संघर्षों की चपेट में हैं. वो बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन का खामियाजा भुगतना रहे हैं. इसके लिए हल्के और छोटे हथियारों की बिक्री को कारण माना जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, हथियारों के प्रसार को खराब कुशासन, भ्रष्टाचार, कमजोर सीमाओं, गरीबी, अभाव और बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
क्या कहते हैं जानकार?
जानकारों की राय है कि जब तक चीन जैसे देश अपना नजरिया नहीं बदलते और अफ्रीकी देशों में हथियारों की बिक्री पर शर्तें नहीं लगाते तब तक पूरे महाद्वीप में हथियारों के अवैध प्रसार को रोका नहीं जा सकता है. जेन्स डिफेंस वीकली के अनुसार, सभी 54 अफ्रीकी देशों में करीब 70 फीसदी बख्तरबंद सैन्य वाहन चीनी मूल के हैं और महाद्वीप के सभी सैन्य वाहनों में से लगभग 20 फीसदी की आपूर्ति चीन द्वारा की गई है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (AIPRI) की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि चीन चौथे वैश्विक हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है और 2017 और 2021 के बीच कुल वैश्विक हथियारों के निर्यात में उसका 4.6 फीसदी का हिस्सा है. कुल वैश्विक हथियारों के निर्यात में से 10 फीसदी हिस्सा अफ्रीकी देशों के लिए था. इथियोपिया, सूडान, नाइजीरिया, तंजानिया, कैमरून, जिम्बाब्वे, जाम्बिया, गैबॉन, अल्जीरिया, नामीबिया, घाना, बुरुंडी, केन्या और मोजाम्बिक पिछले पांच वर्षों में चीनी हथियारों के प्रमुख आयातक के रूप में उभरे हैं.
संघर्षों में जान गंवा रहे लाखों मासूम
हथियारों की इस कदर बिक्री के कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि 90 के दशक से अफ्रीका में संघर्षों में लाखों लोग मारे गए हैं. द लैंसेट मेडिकल जर्नल द्वारा 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 1995 और 2015 के बीच सशस्त्र संघर्षों के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के 50 लाख बच्चों की मौत हो गई. इनमें करीब 30 लाख बच्चे एक साल या उससे कम क्रम के थे. संघर्ष और हिंसा लोगों को उनके घरों से निकालने के कारक माने जा रहे हैं.
नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2021 में संघर्ष या हिंसा के कारण दुनियाभर में 14.4 मिलियन लोग विस्थापित हुए, जिनमें उप-सहारा क्षेत्र से विस्थापित हुए लोगों की संख्या 11.6 मिलियन या कुल लोगों की 80 फीसदी है.
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