UN Report On China: चीन अपने डिटेंशन कैंप (Detention Camp) में उइगर मुसलमानों (Uighur Muslims) के साथ अत्याचार कर रहा है. उन्हें इलेक्ट्रिक चेयर (Electric Chair) से बांधा जाता है, ड्रग दिया जाता है, भूखा रखा जाता है. उन पर लगातार नजर रखी जाती है. उन्हें बिना किसी कारण इन कैंपों में बंद कर देते हैं. पहली बार उइगर मुस्लिमों पर जारी संयुक्त राष्ट्र यानी UN की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. 48 पन्नों की ये रिपोर्ट चीन पर मानवाधिकारों (Human Rights) के हनन के गंभीर आरोप लगाती है.
9 महीने डिटेंशन कैंप में रह चुकी तुर्सुने जियावुडुन ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया है कि आधी रात के बाद चीन के सैन्य अधिकारी हमारी सेल में आते थे. किसी लड़की को पसंद करके एक ब्लैक रूम में ले जाते थे. इस रूम में कोई कैमरा नहीं होता था. ये सिलसिला हर रात चलता था. चीन से भागकर अमेरिका में रहने लगीं तुर्सुने जियावुडुन ने एक इंटरव्यू में ये आपबीती सुनाई है. एक या उससे ज्यादा चीनी सैनिक मास्क पहनकर आते और बलात्कार करते. ये घटना इन लोगों के साथ इसलिए हुई क्योंकि वो उइगर मुसलमान थे.
डिटेंशन कैंपों में इन तरीकों से होती है क्रूरता
चीन डिटेंशन कैंपों को वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर्स कहता है. उसका कहना है कि वो इन्हें कट्टरपंथियों के लिए चलाता है. साल 2019 में चीन ने कहा था कि ये कैंप मामूली केसों में शामिल अपराधियों के लिए पुनर्वास केंद्र हैं. संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आतंकवाद के गंभीर या मामूली केसों और चरमपंथी कामों में कोई खास अंतर नहीं है. रिपोर्ट में इस तरह के डिटेंशन कैंपों में बलात्कार और यौन शोषण के आरोपों को सही पाया है.
यूएन ने कैंप में बंद लोगों का किया इंटरव्यू
संयुक्त राष्ट्र ने इन कैंपों में बंद लोगों का इंटरव्यू किया है. इस इंटरव्यू में लोगों ने यहां हुए अत्याचारों के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. लोगों ने बताया कि उन्हें एक टाइगर चेयर पर बैठाकर बिजली के डंडों से पीटा जाता था. बिजली के डंडों से पीटने के बाद उनके ऊपर पानी भी फेंका जाता था. घंटों तक छोटे स्टूलों पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता था.
लगातार नजर रखना, पूजा करने पर मनाही
संयुक्त राष्ट्र के इस इंटरव्यू में लोगों ने बताया कि उन पर लगातार नजर रखी जाती थी और उनके सेल में 24 घंटे लाइट जलती रहती थी. उन्हें पूजा करने और धार्मिक नियमों का पालन करने की मनाही थी. यहां तक कि वो अपनी भाषा में भी बात नहीं कर सकते थे. इसके अलावा उन्हें पीएलए की तारीफ करने वाले गीत को गाने के लिए मजबूर किया जाता था.
खाने की जगह ड्रग्स
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि इन डिटेंशन कैंपों में लोगों की भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था. उन्हें लगातार भूखा रखा जाता था. इन लोगों को इंजेक्शन या दवाइयों के जरिए ड्रग्स दिए जाते थे. इन्हें खाने के बाद बहुत सुस्ती महसूस होती थी या फिर नींद आ जाती थी. इसके चलते यहां रहने वाले ये लोग बेहद कमजोर हो गए.
महिलाओं के साथ यौन शोषण
इन कैंपों (Camp) में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि उनके साथ यौन शोषण (Sexual Abuse) और बलात्कार (Rape) किया जाता था. इंटरव्यू में महिलाओं ने बताया कि पूछताछ के दौरान कैंप के गार्ड (Guard) उनके साथ ओरल सेक्स (Oral Sex) करने के लिए मजबूर करते थे. उनके कपड़े उतारने के लिए जबरदस्ती की जाती थी. यौन शोषण तो लोगों के सामने किया जाता था. इन कैंपों में रहने के लिए कोई समय तय नहीं है.
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