(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच चीनी प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला, एनसीपी को टूटने से बचाने की कोशिश
चीन नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन होने से खुश नहीं है. समझा जा रहा है कि चीनी प्रतिनिधिमंडल एनसीपी को टूटने से बचाने की कोशिश करने के लिए यहां आया है.
काठमांडू: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को यहां राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की. नेपाल में आश्चर्यजनक तरीके से प्रतिनिधि सभा (नेपाली संसद का निचला सदन) भंग किए जाने और इस कारण राजनीतिक संकट पैदा होने के एक हफ्ते बाद चीनी प्रतिनिधिमंडल नेपाल की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने के लिए काठमांडू पहुंचा.
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप मंत्री गुओ येझु ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति भंडारी से मुलाकात की. समझा जाता है कि गुओ एनसीपी को टूटने से बचाने की कोशिश करने के लिए यहां आए हैं. राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने दोनों देशों के सदियों पुराने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा की.
माय रिपब्लिका समाचार पत्र की खबर में कहा गया है, 'गुओ की यात्रा का उद्देश्य प्रतिनिधि सभा भंग किए जाने और पार्टी में पहले से गहराई अंदरूनी कलह के बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन होने के बाद उभरी देश की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेना है.'
गुओ ने पहले 2018 में की थी नेपाल की यात्रा इससे पहले गुओ ने फरवरी 2018 में काठमांडू की यात्रा की थी, जब ओली नीत सीपीएन-यूएमएल और प्रचंड नीत एनसीपी (माओइस्ट सेंटर) का विलय होने वाला था और 2017 के आम चुनाव में उनके गठबंधन को मिली जीत के बाद एक एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी का गठन होने वाला था. मई 2018 में दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों का आपस में विलय हो गया और उन्होंने नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी नाम से एक नया राजनीतिक दल बनाया.
सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने बताया कि गुओ एनसीपी के अंदर की स्थिति का जायजा लेंगे और दोनों गुटों को पार्टी की एकजुटता के लिए साझा आधार तलाशने की कोशिश करेंगे. वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग सहित चीनी नेतृत्व का संदेश भी नेपाली नेतृत्व को देंगे.
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक संकट उल्लेखनीय है कि नेपाल में पिछले रविवार को उस वक्त राजनीतिक संकट शुरू हो गया जब चीन के प्रति झुकाव रखने वाले ओली ने अचानक से एक कदम उठाते हुए 275 सदस्यीय सदन को भंग करने की सिफारिश कर दी. यह घटनाक्रम उनकी प्रचंड के साथ सत्ता की रस्साकशी के बीच हुआ. प्रधानमंत्री की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने उसी दिन प्रतिनिधि सभा भंग कर दी और अगले साल अप्रैल-मई में नये चुनाव कराए जाने की घोषणा कर दी. इस पर एनसीपी के प्रचंड नीत गुट ने विरोध किया. प्रचंड एनसीपी के सह अध्यक्ष भी हैं. इस बीच, भंडारी ने संसद के उच्च सदन नेशनल असेंबली का शीतकालीन सत्र एक जनवरी से बुलाने की घोषणा की है.
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