China: चीन का धरती के दक्षिणी ध्रुव पर दखल! हजारों मील की यात्रा कर अंटार्कटिका पहुंचा 39वां दल, क्या करेगा हासिल?
China Antarctic expedition: हमेशा बर्फ से ढके रहने वाले अंटार्कटिका में खोज-बीन के लिए कई देश अपना रिसर्च-मिशन लॉन्च कर चुके हैं. इस बार चीन का दल वहां की कई लोकेशंस तक जा पहुंचा.
China's Antarctic Scientific Expedition: कहीं जासूसी तो किसी को धमकियां... ऐसी नापाक हरकतों के चलते वैश्विक मीडिया में सुर्खियों का केंद्र बना चीन (China) खुद को 'सुपरपावर' के रूप में पेश कर रहा है. एक ओर वह पृथ्वी के बाहर अंतरिक्ष में अमेरिका से होड़ कर रहा है तो दूसरी ओर धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों तक खोजी अभियान चला रहा है. खबर है कि चीनी वैज्ञानिकों का एक बड़ा दल अपने देश से हजारों मील दूर अंटार्कटिका पहुंच गया है.
धरती के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने का चीन का यह 39वां अंटार्कटिक साइंटिफिक अभियान (Scientific Expedition to Antarctica) था, जोकि सफलतापूर्वक पूरा हुआ. चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने इसकी सफलता की घोषणा की है. बताया जा रहा है कि इस अभियान के तहत चीन के 2 जहाज वर्ष 2022 अक्टूबर के अंत में रवाना होकर कुल 163 दिनों तक चले और 60 हजार से अधिक समुद्री मील की यात्रा की. इस दौरान वैज्ञानिकों-खोजकर्ताओं के दल को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अत्यधिक बर्फीले इलाके में ऑक्सीजन नहीं मिलती, खाना भी अलग तरह का और ज्यादा समय तक खाए जाने वाला रखना होता है.
दक्षिणी ध्रुव से लौटा चीनी दल, क्या किया वहां?
चीनी सरकार की ओर से बताया गया कि उनके अभियान में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्य उपलब्धि हासिल कर, शांगहाई घरेलू आधार के डॉक पर लौट आए हैं. चाइनीज मिनिस्ट्री के बयान के मुताबिक, उनकी इस बार की जांच दक्षिणी महासागर के प्रमुख समुद्री क्षेत्रों में वैश्विक जलवायु परिवर्तन की प्रतिक्रिया और फीडबैक आदि महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मुद्दों पर केंद्रित रही. मुख्य रूप से उन्होंने दक्षिणी महासागर के जल और अंटार्कटिका महाद्वीप के संबंधित क्षेत्रों में सर्वे किया. हालांकि, अन्य देशों को चीनी अभियान पर संहेद है, क्योंकि इससे पहले चीन अंतरिक्ष में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता रहा है, वहीं अब आशंका जताई जा रही है कि अंटार्कटिका में भी ड्रैगन कोई करतूत नहीं कर रहा हो.
बनाया अपना अनुसंधान केंद्र 'जोंगशान स्टेशन'
अंटार्कटिका में स्थित चीनी अनुसंधान केंद्र जोंगशान स्टेशन से अंटार्कटिक आइस डोम ए सेक्शन पर दाखिल होने वाले सदस्यों की ओर से कहा गया कि उन्होंने वहां सभी स्टेशनों पर बर्फ और हिमपात पर्यावरण निगरानी, खगोलीय अवलोकन और राजकुमारी एलिजाबेथ भूमि समेत विभिन्न क्षेत्रों में कम बर्फ वाले भूभाग का पता लगाने की कोशिश की. दरअसल, अंटार्कटिका महाद्वीप हमेशा बर्फ से ढका रहता है, वहां इतनी ज्यादा बर्फ है कि जमीन भी नहीं दिखती.
जानिए कहां है अंटार्कटिका, क्या कुछ है वहां?
यदि अंटार्कटिका एशिया या अफ्रीका जैसा भू-भाग होता तो छठा सबसे बड़ा महाद्वीप होता. उसका क्षेत्रफल 13,720,000 वर्ग किलोमीटर बताया जाता है. वहां जाने के लिए किसी भी देश के वैज्ञानिकों को तमाम दिक्कतों को पार करना पड़ता है. हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर से होते हुए दुनिया के कई देशों ने अपने खोजी-दल अंटार्कटिका तक भेजे हैं.
39वीं बार वहां पहुंचा चीन का दल
चीन का दावा है कि उसने 39वीं बार अपना दल वहां भेजा, जो कि सफल रहा. उसकी इस बार की जांच तीसरी बार ऐसी थी जब चीन के श्यूलोंग (स्नो ड्रैगन) जहाज और श्यूलोंग (स्नो ड्रैगन) नंबर 2 जहाज ने निरीक्षण मिशन को संयुक्त रूप से अंजाम दिया.
चीन से ज्यादा बार भारत को मिली सफलता
वहीं, भारत की बात करें तो हमारा देश दक्षिणी ध्रुव के लिए अभी तक चीन से ज्यादा बार दल सफलतापूर्वक भेज चुका है. 15 नवंबर, 2021 को भारत ने अंटार्कटिका के लिए 41वें वैज्ञानिक अभियान का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया था. जिसके तहत 23 वैज्ञानिकों और सहयोगी कर्मचारियों का दल भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन मैत्री (Indian Antarctic station Maitri) पहुंचा.
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