Chinese Media Slams Liz Truss: चीन (China) के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री (UK PM) लिज ट्रस (Liz Truss) को रेडिकल पॉपुलिस्ट (Radical Populist) करार दिया है और लिखा है कि उन्हें पुरानी शाही मानसिकता (Outdated Imperial Mentality) को छोड़ देना चाहिए. रेडिकल पॉपुलिस्ट का आशय एक ऐसे नेता से होता है, जो अपने हित साधने के लिए कट्टरपंथी रुख अपनाना है. हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्त माओ निंग (Mao Ning) ने मंगलवार को कहा कि उन्हें ब्रिटेन के साथ संबंध सही ट्रैक पर रहने की उम्मीद है.
इस बीच लंदन में काउंसिल ऑन जियोस्ट्रेटजी थिंक टैंक के सह-संस्थापक जेम्स रोजर्स ने कहा कि लिज ट्रस चीन पर ब्रिटिश कंपनियों को खरीदने पर ज्यादा प्रतिबंध लगाएंगी और चीनी उभार खिलाफ देशों को एकजुट करने के लिए और ज्यादा कोशिश करेंगी. उन्होंने कहा कि ट्रस समझती हैं कि किस तरह से अल्पकालिक आर्थिक लाभों का दीर्घकालिक रणनीतिक और राजनीतिक प्रभाव हो सकता है.
पिछले सात वर्षों ब्रिटेन-चीन के संबंधों में आई कड़वाहट
पूर्व पीएम डेविड कैमरन के समय को ब्रिटेन और चीन के संबंधों का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है. जेम्स रोजर्स ने कहा कि 2015 में कैमरन पश्चिम में बीजिंग को सबसे करीबी दोस्त बनना चाहते थे, लेकिन पिछले सात वर्षों में तीन पीएम बदलने साथ-साथ ब्रिटेन यूरोप में चीन के सबसे बड़े समर्थक की जगह कट्टर आलोचक हो गया है. उन्होंने कहा कि कंजर्वेटिव पार्टी का रुख चीन के प्रति अधिक शत्रुतापूर्ण हो गया है.
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन ने हाल में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में चीन की भागीदारी को सीमित करने के लिए कदम उठाए. वहीं, ट्रस ने चीन की बढ़ती शक्ति और प्रभाव के खिलाफ उसे पीछे धकेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण की तकनीक की आपूर्ति करने के लिए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए.
वैश्विक बाजार पर नियंत्रण खोने की ट्रस की चिंता
पिछले साल व्यापार सचिव के रूप में ट्रस ने चेतावनी दी थी कि अगर पश्चिमी देश बीजिंग के साथ सख्त न हुए तो वैश्विक व्यापार पर उनका नियंत्रण खो सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर हम कार्रवाई करने में विफल रहते हैं तो सबसे बड़े अत्याचार के तहत वैश्विक व्यापार को खंडित करने का जोखिम उठाएंगे. 2021 में जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने ट्रस के आह्वान पर चीन की आर्थिक नीतियों की निंदा की थी. आलोचकों का मानना है कि बीजिंग अपनी वैश्विक निवेश नीति के तहत गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंस सकता है.
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