एक्सप्लोरर

China-Taiwan Tension: चीन और अमेरिका दोनों के लिए अहम है ताइवान, ऐसे में क्या ड्रैगन कर रहा यहां कब्जा जमाने की तैयारी?

China-Taiwan Tension: दक्षिणी चीन सागर (The South China Sea)में चीन की गतिविधियां बहुत कुछ कह रही हैं. इनसे अप्रत्यक्ष संकेत मिल रहे हैं कि चीन ऑपरेशन ताइवान (Taiwan) पर काम कर रहा है.

China-Taiwan Tension: चीन (China) की सेना क्या ताइवान द्वीप (Taiwan Island ) पर एक बड़े हमले की तैयारी कर रही है?  क्या इस बड़े हमले से पहले फाइनल चैक को अंजाम दे रहा है चीन ? क्या ऑपरेशन ताइवान पर अमेरिका (America) और अन्य देशों की प्रतिक्रिया से निपटने के लिए लामबंदी मजबूत करने में में जुटा है चीन...? ऐसे कई सवाल हैं जो बीते कुछ दिनों से ताइवान के करीब पूर्वी चीन सागर (The East China Sea) और दक्षिण चीन सागर (The South China Sea) में तैर रहे हैं. इनके जवाब सीधे तौर पर तो साफ नहीं हैं लेकिन कुछ दिनों के दौरान सामने आए चीनी सेना के कदम तो कम से कम ऐसी योजना की निशानदेही जरूर कर रहे हैं.

चीनी नौसेना का वीडियो बहुत कुछ कह रहा

चीन की सेना ने नौसेना के संग एक एम्फीबियस ऑपरेशन ( Amphibious Operation) का एक ताजा वीडियो जारी किया है. इसमें सेना और नौसेना के संयुक्त दस्ते समंदर के रास्ते पहुंचते हैं और आक्रामक कार्रवाई को अंजाम देते हैं. इस अभियान में कमांडो दस्तों, लैंडिंग क्राफ्ट और बख्तरबंद वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इतना ही नहीं अभ्यास के इस वीडियो में बकायदा रियल टाइम सिचुएशन के हिसाब से तैयारी की गई है. इसमें सैनिकों को ऐसे तैयार रहने के लिए कहा गया मानो सच में ही करवाई को अंजाम दिया जा रहा हो. जाहिर तौर पर इस तरह के सैन्य अभ्यास वास्तविक ऑपरेशन में लगने वाले वक्त और संसाधनों का आकलन करने के लिए होते हैं. साथ ही इनके जरिए तैयारियों में कमियों और खामियों का भी पता लगाया जाता है जिससे कि ऑपरेशन को स्टीक और घातक बनाया जा सके. 

चीनी नौसेना के युद्धपोत से लाइव फायरिंग

अब जरा एक और तस्वीर देखिए. यह तस्वीर समंदर में चीनी नौसेना के युद्धपोत से लाइव फायरिंग की है. जिसमें दुश्मन के किनारे पर ताबड़तोड़ फायरिंग की जा रही है. वैसे तो यह भी एक अभ्यास का वीडियो है. जाहिर तौर पर इस तरह बमबारी की कार्रवाई की आड़ में ही एम्फीबियस लैंडिंग यानि दुश्मन इलाके की तटरेखा पर अपने सैनिकों को पहुंचाने की कार्रवाई की जाती है. तीसरी तस्वीर रूस के युद्धपोत की हैं जो सीकप मिलिट्री गेम में भाग लेने के लिए पूर्वी चीन सागर से लगे चिंगदाओ के इलाके में पहुंचा है. इतना ही नहीं चीन की सेना अगस्त के आखिर में अपने एक बड़े दस्ते को युद्धाभ्यास के लिए रूस भेजेगी. हालांकि यह एक संयुक्त अभ्यास है जिसमें रूस (Russia) ने चीन के अलावा भारत, मंगोलिया, ताजिकिस्तान और बेलारूस को भी आमंत्रित किया है. अगस्त-30-सितंबर 5, 2022 तक चलने वाला यह युद्धाभ्यास इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब रूस इस तरह के बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास की मेजबानी कर रहा है.

चीन ने की यूक्रेन-रूस युद्ध की स्टडी

कई बड़े देशों की तरह चीन की सेना ने भी युक्रेन युद्ध (Ukraine War) का अध्ययन किया है. चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी पीएलए ने इसके सबक भी तैयार किए हैं. इसका मतलब है कि अगर चीन को ताइवान के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी तो वो रूसी सेना जैसी गलतियां नहीं दोहराएगा. साथ ही चीन जब कभी भी ऐसे किसी ऑपरेशन को अंजाम देगा तो उसे कम समय में और बहुत बड़ी ताकत के साथ जमीन पर उतारेगा. विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की सेना बड़ी संख्या और भारी ताकत के साथ ऐसे किसी ऑपरेशन को अंजाम देगी. साथ ही ताइवान में दाखिल होते ही वहां के नेतृत्व, संचार व्यवस्था और समुद्री संपर्क को काट देगी. यानी ताइवान की राष्ट्रपति को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की तरह वीडियो बनाने और समर्थन जुटाने का शायद समय भी न मिले. इससे चारों तरफ समंदर से घिरे ताइवान के लिए मदद हासिल करना भी मुश्किल होगा.

ताइवानी सेना आधुनिक हथियारों से लैस

माना कि चीन ताइवान के मामले में  सब कुछ बहुत आसानी से कर लेगा यह कहना भी जरा जल्दबाजी होगी. ताइवान की सेना छोटी भले ही हो पर वो आधुनिक हथियारों से लैस और तैयार भी. इतना ही नहीं ताइवान ने अपने पूरे समुद्री तट पर बंकरों और रुकावटों का जाल तैयार कर रखा है. ऐसे में एंफीबियस ऑपरेशन के जरिए ताइवान तट पर आने वाले चीनी सैनिकों के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होगा. वहीं घनी आबादी वाले शहरों में चीन के सामने भी छापामार लड़ाई की वहीं चुनौती सामने होगी जिसके चलते यूक्रेन में रूसी सेना को कदम पीछे खींचने पड़े थे.

चीन को अमेरिका से टकराव का खतरा

चीन की ताइवान के खिलाफ कोई भी कार्रवाई सीधे तौर पर अमेरिका और आस-पास के कई मुल्कों के लिए भी खुली चुनौती होगी. इसके भी अपने जोखिम हैं. यानी अगर अमेरिका ताइवान की मदद के लिए आगे बढ़ता है तो फिर उसके और चीन के बीच सीधे टकराव का खतरा है. जिसकी तस्वीर बेहद भयावह होगी. इसके साथ ही ऐसी किसी कार्रवाई से चीन अपने कई पड़ोसियों के साथ रहा-सहा भरोसा भी खो देगा. ऐसे में चीन के सामने ताइवान की कीमत पर अपने व्यापार-कारोबार की आहुति देने की चुनौती होगी. जाहिर है इसकी कीमत भी बहुत बड़ी है. चीन कितने समय तक 2.36 करोड़ की आबादी वाले ताइवान को नियंत्रण में रख पाएगा यह भी सवाल एक गंभीर सवाल है. वजह है कि ताइवान की एक बड़ी आबादी न तो चीन के साथ विलय चाहती है और न ही उसका अधिपत्य स्वीकार करने को तैयार है.

चीन क्यों मांगता ताइवान ?

सवाल इस बात का भी उठता है कि आखिर चीन को ताइवान क्यों चाहि  है? इसके कारण ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक हैं. चीन में गृहयुद्ध के बाद 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार सत्ता में आई तो उस समय की सत्तारूढ़ कुमिनतांग पार्टी के आला कर्ताधर्ता और उनके नेता चांग काई शेक ताइवान चले गए और उसे रिपब्लिक ऑफ चाइना (The Republic of China) घोषित कर दिया. लंबे समय तक माओ ताइवान को चीन में मिलाने की बात करते रहे. वहीं चांग काई शेक अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की मदद से बीजिंग (Beijing) की सत्ता वापस हासिल करने की बात करते रहे. यानी दोनों यह दावे करते रहे कि असली चीन वो हैं. बहरहाल, चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी (Communist Party) के लिए ताइवान को मुख्य भूमि चीन के साथ जोड़ना एक राष्ट्रीय एजेंडा है जिसकी बात माओ से लेकर शी जिनपिंग (Xi Jinping) तक चीन के सभी राष्ट्रपति करते आए हैं. वहीं ताइवान में सत्ता कुमिनतांग पार्टी से अब डीपीपी के हाथ आ गई हो. लेकिन विलय की ऐसी किसी भी कोशिश का विरोध बरकरार है.

ड्रैगन के लिए अहम है ताइवान

रणनीतिक मोर्चे पर चीन के लिए ताइवान अहम है क्योंकि वैश्विक महाशक्ति बनने के उसके सपने में यह द्वीप उसकी भौगोलिक अड़चन है. इसके लिए जरा नक्शे को समझिए. धरती पर आबादी में सबसे बड़ा और आकार में तीसरा सबसे बड़े देश चीन एक ओर जमीनी पड़ोसियों से घिरा है तो वहीं दूसरी तरफ कई छोटे द्वीपों की दीवार से. ऐसे में अगर ताइवान द्वीप उसके नियंत्रण में आ जाता है तो प्रशांत महासागर तक उसकी खुली पहुंच होगी. साथ ही उसके लिए जापान और कोरिया जैसे पड़ोसियों की आपूर्ति पर ब्लॉकेड लगाने का मौका मिल जाएगा. साथ ही अमेरिका के कई सैन्य अड्डे भी उसकी पूरी ज़द में आ जाएंगे. जाहिर है ऐसा न तो अमेरिका चाहेगा और ना ही जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रशांत महासागर के पड़ोसी. इतना ही नहीं चीन के ऐसे किसी भी  पैंतरे को लेकर फिलिपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया समेत कई देशों की चिंताएं हैं.

आर्थिक तौर पर ताइवान की मजबूती

नक्शे पर शकरकंद की शक्ल वाले ताइवान द्वीप की आर्थिक ताकत की बात करना भी यहां जरूरी है. दुनिया की फॉर्च्यून 500 कंपनियों की फेहरिस्त में करीब 10 कंपनियां ताइवान की हैं. वहीं कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के इंजन पर चल रहे सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के 60 फीसद सेमीकंडक्टर चिप अकेले ताइवान में बनते हैं. यानी टीवी स्क्रीन और मोबाइल फोन जैसे घरेलू उपकरणों से लेकर लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन व रोबोटिक्स तक हर इलैक्ट्रॉनिक साजो सामान में प्राण फूंकने के लिए इनकी जरूरत है. ऐसे में ताइवान पर चीन के नियंत्रण का सीधा अर्थ है सेमीकंडक्टर बिजनेस पर उसका एक तरफा दबदबा.

चीन-ताइवान राजनीतिक विवाद से अलग हुए भाई

भले ही चीन और ताइवान  इतिहास के मोड़ पर राजनीतिक विवाद से अलग हुए दो भाई हों. लेकिन उनकी कहानी अमेरिका की भूमिका और एक सोची समझी रणनीति के तहत बनाए गए नीति भ्रम की बात किए बगैर पूरी नहीं होती है. जहां एक तरफ अमेरिका ताइवान को सैनिक मदद देता है. वहीं यह भी कहता है कि वो एक-चीन नीति का समर्थक है और ताइवान की आजादी का समर्थन भी नहीं करता है. लेकिन 1971 में ताइवान को छोड़कर बीजिंग की तरफ लिए अमेरिकी यू-टर्न के बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) की सीट तो पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हाथ आ गई.

यहां अमेरिका ने ताइवान रिलेशंस एक्ट 1979 (The Taiwan Relations Act -1979) और तीन आश्वासनों व 6 संदेशों के जरिए पूरे मामले में अपनी टांग बाकायदा फंसा रखी है. यानी उसे इस झगडे से बाहर नहीं माना जा सकता है. हालांकि यह कोई नहीं जानता कि अगर चीन ने किसी दिन ताइवान के खिलाफ कोई सीधी सैन्य कार्रवाई की तो क्या अमेरिका अपने सातवें बेड़े को आगे बढ़ाते हुए सैन्य दखल देगा? यूक्रेन का ही उदाहरण ले लें. यूएन का सदस्य होने और एक संप्रभु देश होने के बावजूद लड़ाई की मार यूक्रेन को अकेले ही झेलनी पड़ी. ऐसे में यूएन का सदस्य न होने और अधिकतर देशों के साथ औपचारिक राजनयिक रिश्तों के अभाव में ताइवान के लिए रास्ता कैसे निकलेगा यह कोई नहीं जानता. 

ये भी पढ़ेंः

China: चीन की नई चाल, श्रीलंका में पोत भेजने के बाद अब पाकिस्तान में सेना भेजने के लिए कर रहा है तैयारी

China-Taiwan Tension: 'हम भी अपनी सुरक्षा की रक्षा के लिए आश्वस्त, सक्षम और दृढ़'- चीन को ताइवान की दो टूक

 

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Phil Salt
₹11.50 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.50 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.50 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

क्या एकनाथ शिंदे में है महाराष्ट्र के नीतीश कुमार बनने का दम? जानें क्यों चर्चा में है 'बिहार मॉडल'
क्या एकनाथ शिंदे में है महाराष्ट्र के नीतीश कुमार बनने का दम? जानें क्यों चर्चा में है 'बिहार मॉडल'
संभल हिंसा: डीएम बोले- 'उन्हें सर्वे की सूचना नहीं दी गई, मैंने अनुमति नहीं दी'
संभल हिंसा: डीएम बोले- 'उन्हें सर्वे की सूचना नहीं दी गई, मैंने अनुमति नहीं दी'
IPL 2025 Mega Auction: राजस्थान रॉयल्स ने 13 साल के खिलाड़ी को बनाया करोड़पति, वैभव सूर्यवंशी पर लगाया बड़ा दांव
राजस्थान ने 13 साल के खिलाड़ी को बनाया करोड़पति, कम उम्र में जड़ चुका है शतक
केंद्र सरकार ने किसानों को दी बड़ी सौगात, इन रेलवे प्रोजेक्ट को दिखाई हरी झंडी; जानें कैबिनेट के बड़े फैसले
केंद्र सरकार ने किसानों को दी बड़ी सौगात, इन रेलवे प्रोजेक्ट को दिखाई हरी झंडी; जानें कैबिनेट के बड़े फैसले
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Sambhal Masjid Clash: सर्वे की जल्दबाजी से संभल में हिंसा? Chitra Tripathi के साथ सबसे बड़ी बहसGehna Zevar Ya Zanjeer: 😱 Gehna trapped in Alia and Shakti Singh's web, will Ayushman believe?Jammu Protest: वैष्णो देवी रोप-वे प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन, लोगों ने किया जमकर हंगामाSambhal Masjid Clash: संभल में कहां से आए इतने पत्थर? SP नेता Manoj Kaka का सन्न करने वाला जवाब

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
क्या एकनाथ शिंदे में है महाराष्ट्र के नीतीश कुमार बनने का दम? जानें क्यों चर्चा में है 'बिहार मॉडल'
क्या एकनाथ शिंदे में है महाराष्ट्र के नीतीश कुमार बनने का दम? जानें क्यों चर्चा में है 'बिहार मॉडल'
संभल हिंसा: डीएम बोले- 'उन्हें सर्वे की सूचना नहीं दी गई, मैंने अनुमति नहीं दी'
संभल हिंसा: डीएम बोले- 'उन्हें सर्वे की सूचना नहीं दी गई, मैंने अनुमति नहीं दी'
IPL 2025 Mega Auction: राजस्थान रॉयल्स ने 13 साल के खिलाड़ी को बनाया करोड़पति, वैभव सूर्यवंशी पर लगाया बड़ा दांव
राजस्थान ने 13 साल के खिलाड़ी को बनाया करोड़पति, कम उम्र में जड़ चुका है शतक
केंद्र सरकार ने किसानों को दी बड़ी सौगात, इन रेलवे प्रोजेक्ट को दिखाई हरी झंडी; जानें कैबिनेट के बड़े फैसले
केंद्र सरकार ने किसानों को दी बड़ी सौगात, इन रेलवे प्रोजेक्ट को दिखाई हरी झंडी; जानें कैबिनेट के बड़े फैसले
आने वाली हैं ये 6 लाइव एक्शन फिल्में, फटाफट नोट कर लें तारीख
आने वाली हैं ये 6 लाइव एक्शन फिल्में, फटाफट नोट कर लें तारीख
सर्दियों में बच्चे पड़ते हैं बार-बार बीमार, तो उनके लंच बॉक्स में दें ये 4 हेल्दी रेसीपी
बच्चे पड़ते हैं बार-बार बीमार, तो उनके लंच बॉक्स में दें ये हेल्दी रेसीपी
हिजबुल्लाह के साथ सीजफायर के लिए तैयार हुआ इजरायल! पीएम नेतन्याहू ने रखी ये शर्त
हिजबुल्लाह के साथ सीजफायर के लिए तैयार हुआ इजरायल! पीएम नेतन्याहू ने रखी ये शर्त
8GB RAM और 108MP कैमरा के साथ लॉन्च हुआ HMD Fusion स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और कीमत
8GB RAM और 108MP कैमरा के साथ लॉन्च हुआ HMD Fusion स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और कीमत
Embed widget