Chinese Military Exercise: हाल ही में चाइना की चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की एयरफोर्स टीम ने ड्रोन सहित दो लड़ाकू विमान के साथ ट्रेनिंग की. विशेषज्ञों ने बीते गुरुवार (10 अगस्त) को जानकारी दी कि इस ट्रेनिंग का मकसद था, लड़ाकू विमान से हथियारबंद ऑटोमेटिक ड्रोन को ऑपरेट किया जा सके.
चाइना सेंट्रल टेलीविज़न (CCTV) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अज्ञात स्थान पर अघोषित ट्रेनिंग में एक GJ-2 सशस्त्र टोही ड्रोन और दो J-16 लड़ाकू जेट शामिल थे, जिसने पहली बार आम जनता के लिए इस तरह के अभ्यास का अनावरण किया. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) वायुसेना ड्रोन समूह के प्रमुख ली यांग ने रिपोर्ट में कहा कि ड्रोन PLA की वॉर सिस्टम में मिल गए हैं और कुछ अच्छे परिणाम हासिल किए गए हैं.
फाइटर जेट और ड्रोन का काम
विशेषज्ञों ने कहा कि GJ-2 सशस्त्र टोही ड्रोन और J-16 फाइटर जेट के बीच हाई स्पीड, गतिशीलता, रेंज और सहनशक्ति सहित कई अंतर हैं. लेकिन वे कई मायनों में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम को अंजाम दे सकते हैं. ड्रोन और लड़ाकू जेट के डेटा लिंक से जुड़े होते हैं, जो उन्हें संचार करने मिशन को बांटने करने और डेटा ट्रांसफर करने में मदद करते हैं.
उन्होंने कहा, "कुछ J -16 और कुछ GJ -2 एक साथ काम करते हुए ऑपरेशनल लेवल के स्ट्राइक मिशन को अंजाम दे सकते हैं या प्रमुख टेक्टिकल टारगेट पर नॉन-स्टॉप स्ट्राइक मिशन को अंजाम दे सकते हैं."
मालाबार युद्धाभ्यास के दौरान चीन की चाल
चीन की एयरफोर्स एक्सरसाइज ऐसे मौके पर आयोजित की गई है, जब पैसिफिक महासागर में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया (क्वाड) समूह संयुक्त रूप से मालाबार युद्धाभ्यास में शामिल है. इसके मद्देनजर रखते हुए चीन कड़ी निगरानी रखने के इरादे से युद्ध अभ्यास वाले क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अपने सैलाइटो को एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए लगा दिया है.
मालाबार युद्धाभ्यास 11 अगस्त से शुरू हुआ है, जो 21 अगस्त तक चलने वाला है. इस युद्धाभ्यास की मदद से चारों देश की नौसेनाओं लड़ाई के अलग-अलग टेक्निक सीखने पर ध्यान केंद्रित करेंगी. आपको बता दें कि मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत सबसे पहले साल 1992 में भारत और अमेरिका ने मिलकर किया था.
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