शी जिनपिंग ने सेना से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा, लेकिन क्यों और किसके लिए?
चीन और भारत 2017 में एक सैन्य झड़प के करीब आए थे. दोनों देशों के सैनिकों के बीच डोकलाम में सिक्किम की सीमा के पास 73-दिन तक गतिरोध चला था.
बीजिंग: 2019 में देश की सेना के साथ पहली मुलाकात में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ ऐसा कहा है जो अचंभित करने वाला है. भारत के इस पड़ोसी देश के राष्ट्रपति शी ने अपनी सेना से युद्ध और अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है. शी ने केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) की एक बैठक में कहा कि बड़े पैमाने पर और तेजी से आधुनिक बन रही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को खतरे, संकट और युद्ध को लेकर जागरूक रहना चाहिए. सीएमसी देश का शीर्ष सैन्य संगठन जिसके शी अध्यक्ष हैं.
इसे 2019 में सेना के लिए शी के पहले आदेश के रूप में देखा जा रहा है, इस दौरान उन्होंने पूरे साल सशस्त्र बलों के प्रशिक्षण से जुड़े एक आदेश पर भी हस्ताक्षर किए. भारत के साथ सीमा विवाद के अलावा, दक्षिण चीन सागर में कई देशों के साथ निरंतर समुद्री क्षेत्रीय विवादों के बीच शी का ये आदेश आया है. वहीं, चीन द्वारा ताइवान को इसका हिस्सा बनाए जाने को लेकर अमेरिकी विरोध को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है. ताइवान को चीन अपना अभिन्न अंग मानता है.
शी ने ताज़ा बयान में कहा है कि चीन ने ताइवान को फिर से "अपना बनाने" के लिए बल के उपयोग का अधिकार सुरक्षित रखा है. आपको ये भी बता दें कि ताइवान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक रूप से चलने वाला देश है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान की सुरक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए एशिया को आश्वासन की पहल के कानून पर हस्ताक्षर किया है. इसी के बाद से शी के तेवर बेहद सख्त हो गए हैं.
चीनी राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों की त्वरित और प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता पर बल दिया, जिससे उन्हें संयुक्त अभियानों की कमांडिंग क्षमता को उन्नत करने, नए लड़ाकू बलों को बढ़ावा देने और लड़ाई की परिस्थितियों में सैन्य प्रशिक्षण में सुधार करने के लिए कहा. चीन और भारत 2017 में एक सैन्य झड़प के करीब आए थे. दोनों देशों के सैनिकों के बीच डोकलाम में सिक्किम की सीमा के पास 73-दिन तक गतिरोध चला था.
कूटनीतिक बातचीत ने आखिरकार सैनिकों के बीच तनाव को कम किया और स्थिति को ठीक कर दिया जिससे सीमा पर संभावित संघर्ष की स्थिति टल गई. चौंकाने वाली जानकारी ये है कि चीनी मीडिया ने चीन द्वारा 'मदर ऑफ ऑल बम' (एमओएबी) के परीक्षण को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है जिससे पूरे विश्व का ध्यान चीन की ओर गया है. एमओएबी की ताकत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये परमाणु बम से थोड़ा ही कम शक्तिशाली होता है. शी के बयान से लेकर चीनी मीडिया की ऐसी रिपोर्ट्स किसी शुभ संकेत की ओर तो इशारा नहीं कर रहे.
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